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________________ भूमिका. तूने कर्म किए हैं उसका फल अवश्य मिलेगा / आर्य प्रजा आदि काल से लेकर आज तक कर्म सिद्धान्त को मानती चली आरही है / पशु बलिदान वही कर सकता है जो अपनेकिए हुए पापों के बदले किसी दूसरे प्राणी का पाप भोगना समझता है / आर्य प्रजा कभी यह बात स्वीकार नहीं कर सकती कि व्यक्ति अथवा समाज के किए हुए पाप किसी पशु की हिंसा से कभी क्षमा किए जा सकते हैं। आर्य प्रजा का अटल विश्वास है कि कृष्ण देव से योगिराज उसको सन्मार्ग दर्शा सकते हैं किन्तु उसके पापों को क्षमा कर वा करा नहीं सकते कारण कि वह गीता में स्पष्ट कह रहे हैं कि मनुष्यो तुमको अपने कर्म भोगने पड़ेगें। ) बड़ोदा 1 मार्च 1920 आत्माराम
SR No.032770
Book TitleTulnatmak Dharma Vichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajyaratna Atmaram
PublisherJaydev Brothers
Publication Year1921
Total Pages162
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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