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________________ तुलनात्मक धम्मैविचार. में गिना जाने लगा है। इसी समय में बहुत पीछे की अवस्ताओं में दुष्ट तत्व अहिमान रूप मूर्तिमान् हुआ है। __जिन यज्ञों और तर्पणों को जरथुस्त्रने अपने नए धर्म में से इतनी चतुरता से निकाल दिए थे कि होम (सोम ) का भी नाम गाथाओं में उसने न लिया था अब यह और तर्पणों का पुनः जब मूर्तिमान् देवता मिश्र और अनहिता के पूजा का आरंभ हुआ तब स्वीकार किए गए और पारसी धर्म तांत्रिक पूजा और कर्म काण्ड की सतह पर आ गया / इस के उपरांत धर्म शास्त्रों की भी पूजा कराने लगा और उनको लक्ष्य कर के. भी यज्ञ होने लगे। इस से भी आगे बढ़कर पारसियों ने होम निकाल ने के यंत्रों की पूजा करनी आरंभ की और स्तुतिमात्र मंत्रों को पढ़ जाने में ही रह गई। पारसी धर्म की अधोगति का पारसियों की राजकीय अधोगति के साथ संबंध लथा ऐसा नहीं हो सकता / आरमझद और उस के निमकहलाल सेवकों को पारसी समाज के अन्तिम न्याय के दिन विजय मिलेगी. यह विश्वास बढ़ता गया और परिणाम में धार्मिक विचारने इस लोक के बदले परलोक का मार्ग पकड़ा। जब मनुष्य मर जाता है तब उसका देह भिन्न भिन्न तत्वों में मिल जाता है, हड्डी पृथिवी में, रक्त जल में जीवन अग्नि में और केश वनस्पति में / अंतिम न्याय के दिन जीवों को उनसे देह के अंग पुनः मिलेंगे और प्रत्येक मनुष्य जिस जगह वह
SR No.032770
Book TitleTulnatmak Dharma Vichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajyaratna Atmaram
PublisherJaydev Brothers
Publication Year1921
Total Pages162
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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