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________________ 1003 धातुपाठः] हैमपञ्चपाठी. अलंकारे / 156 जसण ताडने / 157 त्रसण वारणे / 148 वसण स्नेहच्छेदावहरणेषु / 159 ध्रसण उत्क्षेपे / 160 ग्रसण् ग्रहणे / 161 लसण शिल्पयोगे / 162 अर्हण पूजायाम् / 163 मोक्षण असने / 164 लोक, तर्क, रघु, लघु, लोचू, विच्छ, अजु, तुजु, पिजु, लजु, लुजु, भजु, पट, पुट, लुट, घट, घटु, वृत, पुथ, नद, वृध, गुप, धूप, कुप, चिव, दशु, कुशु, त्रसु, पिसु, कुसु, दसु, बहे, वृहु, वल्ह, अहु, वहु, महुण, भाषार्थाः / इति परस्मैभाषाः। 1 युणि जुगुप्सायाम् / 2 गणि विज्ञाने / 3 वंचिण् प्रलम्भने / 4 कुटिण् प्रतापने / 5 मदिण तृप्तियोगे / 6 विदिण चेतनाख्याननिवासेषु / 7 मनिण् स्तंभे / 8 बलि भलिण आभण्डने / 9 दिविण परिकूजने / 10 वृषिण शक्तिबन्धे / 11 कुत्सिण अवक्षेपे / 12 लक्षिण आलोचने / 13 हिष्कि किष्किण् हिंसायाम् / 14 निष्किण परिमाणे / 15 तर्जिण संतर्जने / 16 कूटिण् अप्रमादे / 17 त्रुटिण् छेदने / 18 शठिण श्लाघायाम् / 19 कूणिण संकोचने / 20 तूणिण पूरणे 21 भूणिण आशंसायाम् / 22 चितिण संवेदने / 23 बस्ति गंधिण् अर्दने / 24 डपि डिपि डंपि डिपि डंभि डिभिण् संघाते / 25 स्यमिण वितकें / 26 शमिण आलोचने / 27 कुस्मिण कुस्मयने / 28 गुरिण उद्यमे 29 तंत्रिण कुटुंबधारणे / 30 मंत्रिण गुप्तभाषणे / 31 ललिण् ईप्सायाम् / 32 स्पशिण ग्रहणश्लेषणयोः / 33 दंशिण् दंशने / 34 दंसिण् दर्शने च / 35 भत्सिण संतर्जने / 36 यक्षिण पूजायाम् / इति आत्मनेभाषाः / // इतोऽदन्ताः // 1 अङ्कण लक्षणे / 2 ब्लेष्कण दर्शने / 3 सुख दुःखण तत्क्रियायाम् / 4 अङ्गण् पदलक्षणयोः। 5 अघण् पापकरणे / 6 रचण् प्रतियत्ने / 7 सूचण पैशून्ये / 8 भाजण पृथकर्मणि / 9 सभाजण् प्रीतिसेवनयोः। 10 लज लजुण प्रकाशने। 11 कूटण् दाहे / 12 पट वटुण् ग्रन्थे / 13 खेटण् भक्षणे / 14 खोटण क्षेपे / 15 पुटण् संसर्गे / 16 वटुण विभाजने / 17 शठ श्वठण् सम्यग्भाषणे / 18 दण्डण् दण्डनिपातने। 19 व्रण गात्रविचूर्णने / 20 वर्णण वर्णक्रियाविस्तारगुणवचनेषु / 21 पर्णण हरितभावे / 22 कर्णण भेदे / 23 तूणण संकोचने / 24 गणण् सङ्ख्याने। 25 कुण गुण केतण आमन्त्रणे / 26 पतण गतौ वा। 27 वातण गतिसुखसेवनयोः। 28 कथण वाक्यप्रबन्धे / 29 श्रथण दौर्बल्ये / 30 छेदण द्वैधीकरणे। 31 गदण् गजे / 32 अन्धण् द्रष्टयुपसंहारे / 33 स्तनण् गर्जे / 34 ध्वनण शब्दे / 35 स्तेनण् चौर्ये / 36 उनण परिहाणे / 37 कृपण दौर्बल्ये / 38 रुपण रूपक्रियायाम् / 39 क्षप लाभण प्रेरणे / 40 भामण् क्रोधे / 41 गोमण उपलेपने / 42 सामण सान्त्वने / 43 श्रामण आमन्त्रणे / 44 स्तोमण श्लाघायाम् / 45 व्ययण वित्तसमुत्सर्गे / 46 सूत्रण विमोचने / 47 मूत्रण प्रश्रवणे / 48 पार तीरण कर्मसमाप्तौ / 49 कत्र गात्रण शैथिल्ये / 50 चित्रण चित्रक्रियाकदाचिद्रष्टयोः। 51 छिद्रण भेदे। 52 मिश्रण संपर्चने / 53 वरण ईप्सायाम् /
SR No.032767
Book TitleHaimbruhatprakriya Mahavyakaranam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGirijashankar Mayashankar Shastri
PublisherGirijashankar Mayashankar Shastri
Publication Year1931
Total Pages1254
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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