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________________ संपादकीय निवेदन नेमिनाथ- राजिमती विशे गुजराती भाषामा विविध प्रकारनी कृतिओ ई. स. नी तेरमी सदीथी रचाती आवी छे. तेमां कवि लावण्यसमयकृत ' नेमिरंगरत्नाकर छन्द ' मध्यकालीन गुजराती साहित्य, भाषा अने संस्कृतिना अभ्यास माटे महत्त्वनी कृति छे, तेथी तेनुं आ संपादन तैयार कयु छे. नरसिंहयुगना तेमज समग्र मध्ययुगना गुजराती कविओमां लावण्यसमयनी साहित्यसेवा उच्च पंक्तिनी छे, तेथी तेमनां जीवन अने कवन विशे उपयोगी माहिती पण उपोद्घातमां विस्तारथी आपी छे. कृतिनी हस्तप्रतो सद्भावपूर्वक मेळवी आपी, आखीये वाचना वांची जई उपयोगी सूचनो करवा माटे पूज्य मुनिश्री पुण्यविजयजीनो हुँ अत्यन्त ऋणी छं. डॉ० हरिवल्लभ भायाणी, डा० भोगीलाल सांडेसरा तथा मु. अध्या० श्री. के. का. शास्त्रीए आद्यये पुस्तक वांची जई उपयोगी सूचनो कर्या छे ते बदल ए विद्वानोनो आभारी छु. मारा आ कार्य अंगे घणी हस्तप्रतो जोवानी मारे जरूर पडी हती. ते सुलभ करी आपवा बदल अने आ पुस्तकना प्रकाशननी जवाबदारी उठाववा बदल श्री लालभाई दलपतभाई भारतीय संस्कृति विद्यामन्दिरना संचालक श्री. दलसुखभाई मालवणियानो आभार मानवानी आ तक लडं छु. बीजी केटलीक मुद्रित कृतिओनो पण मारे उपयोग करवो पड्यो छे, जेनो उल्लेख पुस्तकमां यथास्थाने कों छे. ए सौ लेखकप्रकाशकोनो पण आभार मानुं छु. देसाई चन्दुलाल मणिलाल शिवलाल जेसलपुरा आर्ट्स अने कॉमर्स कॉलेज, विरमगाम. ता० 15-11-1965
SR No.032757
Book TitleNemirangratnakar Chand
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivlal Jesalpura
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1965
Total Pages122
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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