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________________ 2 324 कल्पलताविवेके क आद्यः को द्वितीयः 195 23 / किमु तुच्छरूपम् 227 23 206 9 कि वृत्तान्तैः 118 3 कण्ठेन शमनं कुर्यात् [भ.ना.शा. 102 24 | कीर्तनाद् देवतानां च [भ.ना.शा.] 38 16 कुतपस्य तु विन्यासः [भ. ना. शा 36 13 तमपश्चात्पूर्वार्धमात्रम् ] कथमवनिप दों 109 26 कुरङ्गाक्षीणां कुत्र 16 18 118 1 कुरङ्गीवाङ्गानि कथाशरीरमुत्पाद्य [ध.उ 3 का.७० 80 1 182 23 तम्याः परिकरश्लोकः] 173 13 कुवियाओ पसण्णाओ 122 19 कपोले पत्राली (टि. 2) 136 11 कृच्छ्रेणोरुयुगं [रत्ना. 2 10] 127 1 कमलायराणमलिया 119 21 कृतककुपितैः [रामाभ्युदय] (टि. 3)166 22 154 2 कृतो दूरादेव कल्पपल्लवमात्रेग 320 19 केलिकन्दलितस्य 311 5 कवीनां सूक्तैर्हन्त 16 25 कैश्चिदेव हि 22 23 कश्चिन्मत्तो गायति [ भ.ना.शा. 190 5 क्रमेण प्रतिभात्यात्मा [ध्व.का. 43] 137 3 7 39] क्रीडागोष्ठीविनोदेषु . 78 17 कस्यचिद् धनिभेदस्य [ध. का. 125 2 क्वचिच्छम [भ. ना. शा. 7] 83 3 पूर्वार्धम् 22] क्षितिपतिः स्वमनायत लक्षणेऽन्यः कृते (उत्तरार्धम्) 125 11 क्षुद्रस्तापसवेष एष कस्स व न होइ रोसो 110 10 | खं येऽभ्युज्ज्वलयन्ति 154 24 गणयन्ति नापशब्दं काका सा सा 224 25 | गयणं च मत्तमेहं कामेनाकृष्य चापं [नागा० 1 2] 34 17 | गदितः क्षामक्षामैः कार्यमेकं यथा व्यापि [ध.का. 86 11 | गान्धारी मध्यमा [भ. ना शा. 33 79] 178 26 28 40] कार्यानिस्तरणकृतः [भ ना.शा. 296 20 | गीतकेषु प्रयुक्तेषु [भ. ना. शा 10 11 5 कार्य तु प्रथमे वेगे [भ. ना. शा. 301 9 | गीतानां म(मुद्रकादीनां [भ.ना.शा. 35 25 5 13] काव्यस्यात्मा [ध्व. का 5] 111 | गीः श्री/ः स्त्री ह्रीभॊः / 25 2 किञ्चित्प्रवेपिताङ्गः 288 9 गुणः कृतात्मसंस्कारः [भ ना.शा. 8] 85 18 किञ्चिदकार्य [भ. ना. शा. 293 22 | गुह्यार्थवचने चैव [भ. ना. शा. 103 25 7 58] 19 49] किमपीदं महद्भूतं 162 15 | गोरपत्यं बलीवई 229 12
SR No.032756
Book TitleKalplata Vivek
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMurari Lal Nagar, Harishankar Shastry
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1968
Total Pages550
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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