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________________ 208 . कल्पलताविवेके शैर्वा प्रस्तारैः कैव वार्ता प्रतिष्ठादिष्वप्यक्षरजातिषु क्रमेण क्रमव्युत्क्रमाभ्यां च प्रस्तारसाहश्येन प्रस्ताराऽन्यत्वेन वा यगौ वीडेति व्रीडादिषु प्रस्तारसादृश्येनाजमुखे षोडशकलगं तैः स्यान्मात्रासमकं नवमैः पादैरिति मात्रासमकादिषु च च्छन्दःसु प्रस्ताराऽन्यत्वसादृश्याभ्यां __ परिकल्प्यमानाः स्वल्पतमाः स्वल्पतराः स्वल्पा बहवो बहुतरा बहुतमाश्च विकल्पाः प्रति5 पादमुत्पद्यन्त इति वैतालीयौपच्छन्दसका पातलिकास्तत्प्राच्यवृत्तयश्चैव मात्राछन्दांस्यादरणीयानि तत्रापि तुर्य एवामीषां सङ्करः साध्यं साधयतीत्यायपादत्रये प्रतिपादमेकैकेन छन्दसा विकल्पाः परिस्थाप्या इति व्यवस्थिते पदक्रमेण केचिदेवोत्पद्यन्त इति पदक्रमव्युक्रमपक्षे कक्षीक्रियमाणे पदचतुष्टयप्रस्ताराच्चतुर्विंशत्युत्तरत्रिंशच्छतपरिच्छिन्नात्पदपञ्चकप्रस्ता राच विंशत्यधिकशतसमन्वितपञ्चदशसहस्रपरिकलिताद्विवेच्यमाना आये पादे आपातलिकाऽपि 1) तथा स्यात् किन्वेतस्यां तंत्र भगौ ग इत्यापातलिकायां पदचतुष्टययोगे विकल्पाः पञ्चविंशतिः। 1248 / 1249 / 1483 / 1942 / 1948 / 2148 / 2149 / 2483 / 2941 / 2948 / 4583 / 4683 / 5341 / 5342 / 5348 / 5349 / 5683 / 8341 / 8342 / 8349 / 9142 // 9148 / 9241 / 9248 / 9483 / 5 द्वितीयस्मिन् नन्तिा विषमे षडेव ला वैतालीयाहौ समेष्टते समयोस्तु न षड् निरन्तरा योज्यो नैव समः परेण लेति वैतालीये पदचतुष्टययोगे त्रयोविंशतिः पूर्वो यदि पञ्चमान्वितः प्राच्यवृत्तिरिह युग्मपादयोरिति प्राच्यवृत्त्यामेक इति यदि वा नवधोक्तानां लंगास्पदे यावौपच्छन्दसकं तदादीनामत्यौपच्छन्दसके पदपञ्चकयोगे एकानविंशतिप्राच्यवृत्त्यां पञ्चेति च चतुर्विंशतिः / 1274 / 1276 / 1287 / 1974 / 1976 / 1987 / 0 2174 / 2176 / 2187 / 2974 / 2976 / 2987 / 5374 / 5376 / 5387 / प्रा 7364 / 8374 / 8376 / 9174 / 9176 / 9187 / 9274 / 9:276 / 9287 / यदि वा 14263 / 14963 / 24163 / 24963 / 41263 / 41963 / 42163 / 42963 प्रा 46573 / 48573 / 48673 / 49163 / 49263 / 56473 / प्रा 58163 / प्रा 5 58263 / प्रा 58473 / 58963 / 85163 / 85263 / 85963 / 86473 / 94163 / 94263 / तृतीयस्मिन् वैतालीय एव पदचतुष्टययोगे पञ्चविंशतिः / 1264 / 1476 / 1487 / 1964 / 2164 / 2476 / 2487 / 2964 / 4176 / 4187 / 1. लगास्पदे //
SR No.032756
Book TitleKalplata Vivek
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMurari Lal Nagar, Harishankar Shastry
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1968
Total Pages550
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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