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________________ पृष्ठानि पृष्ठानि 78 74 v . 50 104 1 0 0 0 0 - 102 . पद्यानि बहिरिव बाधां विधेहि भणति कविजयदेवे भजन्त्यास्तालूपान्तं भवति विलम्बिनि भ्रमति भवान् भ्रमरचयं भ्रूचापे निहितः भ्रपल्लवं मजुतरकुञ्ज मणिमयमकर मदनमहिपति मधुतरल मधुमुदित . मधुमुरनरक मनोभवानन्दन मम मरणमेव मम रुचिरे माधविकापरिमल मामतिविफल मामहह मामियं चलिता मुखरमधीरे मुग्धे मधुमथनम् मुग्धे विधेहि मुहुर वलोकित मृगमदरस मृगमदसौरभ मेधमदुर म्लेच्छनिवह यदनुगमनाय यदि हरिस्मरणे यद्गान्धर्वकलासु यमुनातीर रचय कुचयोः रजनिजनित पद्यानि रतिगृहजघने रतिसुखसमय रतिसुखसारे रमयति सुदृशं राधावदन रासोल्लास रिपुरिव सखी ललितलवा वदनकमल वदनसुधानिधि वदसि यदि किञ्चिदपि वपुरनुहरति वर्णितं जयदेवकेन वसति दशन वसति विपिन वसन्ते वासन्ती वहति च वहति मलय वहसि वपुषि वाग्देवता वाचः पल्लवय वामाङ्के रतिकेलि विकचजलज विकसितसरसिज विकिरति मुहुः विगलितलज्जित विगलितवसनं विततबहुवल्लि वितरसि दिक्षु विपुलपुलकपालिः विपुलपुलकपृथु विपुलपुलकभर विपुलपुलकभुज विरचितचाटुवचन विरहपाण्डुमुरारि विलिखति रहसि occ 113 107 WWCOW No. 88 113 13 3 115 115
SR No.032754
Book TitleGitagovinda Kavyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayadeva, King Manaka, V M Kulkarni
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1965
Total Pages162
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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