________________ 322 तृतीयं परिशिष्टम् / 'चीनक-चीनक काककङ्गु / 'जुवारि--यवनाल योनल जूर्णाह्वय देवधान्य जोन्नाला [जोर्णाला नि०] बीजपुष्पिका 396 / सण--शण भङ्गा मातुलानी। अलसी-उमा क्षुमा अतसी / गररी--गवेधुका [गवीधुका टी०] गवेधु / अरण्यतिल--वन्यतिल जतिल 397 / श्यामतिल-षण्ढतिल तिलपिज तिलपेज / "सरसव--सर्षप कदम्वक तन्तुभ / श्वेतसरसव--सिद्धार्थ श्वेतसर्षप 398 / राई--राजिका तीक्ष्णगन्धा क्षुताभिजनन क्षव असुरी [आसुरी पु.] कृष्णिका कृष्णसर्षप राज सर्षप 399 / "शमीधान्य--शिम्बाधान्य-माष मुद्ग आदि / 'शूकधान्य--यव गोधूम आदि / 'सस्यशूक-सस्यशूक किंशारु १°ऊंबी--कणिश [कनेश टी. कनिश टि.] सस्यशीर्षक 400 / धान्यादिगुच्छ-स्तम्ब "कणसडा-नाल काण्ड / तुच्छकणसडा--पलाल / धान्यत्वचा--तुष / भुस--ढुंढा बुस कडङ्गर 401 / 1.(1) चीनो (2) च्येणो // 2. जवार // 3. शण // 4. अळसी॥ 5. सरसव // 6. राई / 7. कठोळ // 8. घउं जव आदि // 9. सूकळां 10. पोंख // 11. कणसडां // 12. (1) कोतरूं (2) कोदरं (3) कोरमुं / 13. भूसु //