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________________ 228 प्रथमं परिशिष्टम् / पु० बहुपुत्रा नि० / (उ०) तामलक्यज्यटाऽज्झाटा ता-स्थाने तामलक्युत्कटा झाटा ता-पु० तामलक्युज्झटा ज्ञायता-नि० / च तमालिनी स्थाने तुन्नमालिनी पु० नुन्नमालिनी नि० // 213 (उ०) रजनिर्गौरी स्थाने रजनी गौरी पु० नि० // 214 (पू०) पिङ्गा स्थाने पिण्डा पु० पु१ / (उ०) प्रपुनाटे स्थाने प्रपुन्नाटे पु० नि० / -श्चक्रह- स्थाने -श्चक्रक-पु० -श्चक्राक- नि० // 215 (पू०) पद्माटैड-स्थाने पुन्नाटेड- पु. / (उ०) मुण्डनिका स्थाने मुण्डितिका पु० / -बोधनी स्थाने बोधिनी नि० // 216 (उ०) त व्यथा स्थाने त्वव्यथा निः॥ 217 (पू०) लोचनीया स्थाने लोभनीया पु० नि० / (उ०)-नाशनी स्थाने -नाशिनी नि० // 218 (उ०) कृष्णफलीन्दुलेखा स्थाने कृष्णफला दुर्लेखा नि० // 220 (पू.)-गन्धा सुगन्धा चीरितपत्रिका स्थाने -गन्धा तु सुगन्धा वारिपत्रका नि० / (उ०) विषमर्दनी स्थाने विषमर्दिनी नि० // 221 (पू०) छत्राकी स्थाने छत्राक्षी पु० / (उ०) कठिजरः स्थाने कुठिञ्जरः पु० नि०॥ 222 (उ०) करालकः स्थाने सरालकः नि० // 223 (पू०) कालतालः स्थाने काकताल: नि / (उ०)-ऽऽपीता राक्षसी स्थाने प्रेतराक्षसी पु० नि०॥ 224 (पू.) ग्राम्या स्थाने ग्रस्या पु० यस्या नि० / (उ०) मरिचकः खरपत्रोऽल्पपत्रकः स्थाने प्रस्थपुष्पः खरपत्रोऽत्रपत्रकः नि० // 225 (पू०) जम्भीरो स्थाने जम्भारो पु० / (उ०) त्रायमाणायां त्रायन्ती कृतत्राणादिसानुजा स्थाने त्रायन्ती त्रायमाणायां कृतत्राणाऽङ्घ्रिसानुजा नि०॥ 226 (पू०) बलभद्रिका स्थाने बीलभद्रिका पु० / (उ०) जुहूत्राणा स्थाने सुहृत् त्राणा पु० नि० // 227 (उ०) वीरमूलो स्थाने दूरमूलो पु० नि०॥ 228 (पू०) अधिकण्टकः कुनाशस्ताम्रमूली प्रतोदनी स्थाने कुनाशकोऽधिष्ठकश्च ताम्रमूली प्रचोदनः नि०। अधिकण्टकः स्थाने अविकण्टकः पु० / (उ०) दुःस्पर्शा स्थाने दास्पर्श: पु०नि०। -ऽनन्ता स्थाने-5मन्ता पु०॥ 230 (पू.) वाप्य-स्थाने बाष्पपु०। (उ०) पारिभव्यं कौरव्यं स्थाने पारिभाव्यं कौरवं नि० पारिभद्रं कौरवं पु० // 231 (उ०) वज्राणि स्थाने वक्त्राणि पु० / कचम् स्थाने रुचम् पु० नि०॥ 232 (पू०) शट्यां स्थाने शव्यां पु०नि०। गन्धोली स्थाने गन्धाली नि० / (उ.) कचूरः स्थाने कर्बुरः नि० / पृथुपलाशिका स्थाने पृथुपलासिका पु० पृथुफलाशिका नि०॥ 233 (पू.) एलावालुके स्थाने पलुवालुके पु० / (उ०) -लुकमेल्वालं स्थाने -लुकमेल्वालु पु०नि० / दुर्वर्ण स्थाने दुर्वर्ण- नि दुर्वारं पु० // 234 (पू०) सङ्कोच-स्थाने सङ्कोचं पु० टी० / वरम् स्थाने शकम् पु० शुकम् नि० / (उ०) धीरं स्थाने होरं पु०नि० // 235 (पू०) वर्ण स्थाने वरम् पु० नि० / (उ०) रजनिः स्थाने रजनी पु० नि०॥ 236 (उ०)-सायनी स्थाने -सायिनी नि० // २३७(उ०) जातिसूतं स्थाने जात्यमृतं पु० नि० // 238 (पू०) बालपुष्पी स्थाने बालपुष्पा नि० वालुपुष्पा पु० / गन्धयूथिका स्थाने शङ्खयूथिका पु० नि० // 239 (उ०) सदापुप्पी स्थाने सदापुष्पो नि०॥ 24 (पू०) शाल्योदनोपमश्च सः स्थाने शाल्योदनो यमश्व सः नि० / (उ०) नेमाली स्थाने नेवाली पु० मोमाली नि० / वनमालिनी स्थाने नवमालिनी नि०।। 241 (पू०)सप्तला सुकुमाराऽतिसुरभिः स्थाने सत्सला सुकुरारातिसुरतिः नि० / शशिगन्धिका स्थाने शिशुगन्धिका पु० नि० // 24 2 (पू.) प्रमोदनी स्थाने प्रमोदिनी पु० / (उ०) गवाक्षी स्थाने गवाक्षा नि० // 243 (पू.)
SR No.032753
Book TitleNighantu Shesh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPunyavijay
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1968
Total Pages414
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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