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________________ मासों का एक अयन होता है। दो अयनों ( उत्तर और दक्षिण ) का एक वर्ष होता है / मनुष्य का यह एक वर्ष देवताओं का एक अहोरात्र है अहोरात्रैश्च त्रिंशद्भिः पक्षौ द्वौ मास उच्यते / तैः षड्भिरयनं वर्ष द्वेऽयने दक्षिणोत्तरे // तद्देवानामहोरात्रम् ......... | (मा० पु० 46 अ० ) देवताओं के अहोरात्र से बननेवाले बारह मासों का एक दिव्य वर्ष होता है, बारह सहस्र वर्षों की एक चतुर्युगी ( कृत, त्रेता, द्वापर और कलि ) होती है दिव्यैवर्षसहस्रेस्तु कृतत्रेतादिसंज्ञितम् / चतुर्युगं द्वादशभिः ... ... ... ... ... // (मा० पु० 46 अ०) एक सहस्र चतुर्युगी का ब्रह्मा का एक दिन होता हैएतत्सहस्रगुणितमहाह्मथमुदाहृतम् / (मा० पु० 46 अ०) जब ब्रह्मा का एक दिन पूरा होता है अर्थात एक सहस चतुर्युगी बीत जाती हैं तब इतनी ही अवधि की ब्रह्मा की एक रात होती है तत्प्रमाणैव सा रात्रिः। (मा० पु० 46 अ०) इस प्रकार नैमित्तिक प्रलय की अवधि एक सहस्र चतुर्युगी की अवधि के बराबर होती है / इस अवधि में ब्रह्मा जी शयन करते हैं। इस रात के व्यतीत होने के साथ ही ब्रह्मा जी की नींद टूटती है और तब पुनः वे नवीन सृष्टि की रचना करते हैं __.."तदन्ते सृज्यते पुनः। (मा० पु० 46 अ०) ब्रह्मा के उपर्युक्त अहोरात्र से बननेवाले वर्षों से एक सौ वर्ष की ब्रह्मा की आयु होती है तस्य वर्षशतं त्वेक परमायुर्महात्मनः / ब्राह्मयेणैव हि मानेन....................... // (मा० पु० 46 अ० ) इन सौ वर्षों की संज्ञा है 'पर'। इसके आधे भाग अर्थात ब्रह्मा के पचास वर्षों के काल को 'पराध' कहते हैं / पहला परार्ध बीत चुका है, दूसरे पराध का इस समय वाराह कल्प चल रहा है शतं हि तस्य वर्षाणां परमित्यभिधीयते / पञ्चाशद्भिस्तथा वर्षेः परार्धमिति कथ्यते //
SR No.032744
Book TitleMarkandeya Puran Ek Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadrinath Shukla
PublisherChaukhambha Vidyabhavan
Publication Year1962
Total Pages170
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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