SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 18
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ विषय अध्याय पृष्ठ योगी के प्राचार-व्यवहार :ओंकार को विवेचन 42 91-92 आसन्न मृत्यु के लक्षग और काशिराज से अलर्क की वार्ता, अलर्क के सम्बन्ध में सुबाहु और काशिराज की वार्ता, सुबाहु द्वारा काशिराज को अध्यात्म का उपदेश और काशिराज द्वारा लौटाये गये राज्य को पुत्र को सौंप तपस्या के हेतु अलर्क का वनगमन मार्कण्डेय और कौष्टुकि के संवादानुसार सृष्टि के मूल कारण - और विकास का वर्णन ... 45 93-94 प्राकृत प्रलय, प्रकृति से जगत् की उत्पत्ति; एक ही ईश्वर का ब्रह्मा, विष्णु और शिव इन तीन रूपों में प्राकट्य; मनुष्य, 'देवता तथा ब्रह्मा के दिनों का मान; मन्वन्तर का मान; नैमित्तिक प्रलय और ब्रह्मा का श्रायुमान 46 94-95 पायकल्प के बाद वाराह कल्प में वराह अवतार लेकर नारायण द्वारा जलमम पृथ्वी का उद्धार 47 95-96 ब्रह्मा द्वारा काल, वेद, मनुष्य, प्रकाश, और जगत् के अन्य पदार्थों का निर्माण ब्रह्मा से सात्त्विक, राजस और तामस नर नारियों का जन्म, मनुष्यों के विविध श्रावास, जीविकार्जन की प्रणाली की खोज ' के फलस्वरूप कृषिकला का विकास, समाज का संगठन और मनुष्य के महत्तम इष्ट ब्रह्मप्राप्ति का परिज्ञान 49 .97-98 ब्रह्मा के मानसपुत्र, स्वायम्भुव और शतरूपा की सन्तति, दक्ष और रुचि प्रजापतियों की सन्तानपरम्परा 98-99 कलि की कन्या के परिवार, उनसे होने वाले जनकष्ट और उनके निवारण के उपाय आदि का संकेत ..... 51 रुदसर्ग, मार्कण्डेय ऋषि के जन्म आदि का संकेत 52 स्वायम्भुव मनु के वंश की मर्यादा, ऋषभपुत्र भरत के चरित्र - आदि का संकेत 53 99-100 पृथ्वी का विस्तार, जम्बूद्वीप आदि सप्तद्वीप और भारतवर्ष के वर्णन का संकेत 2 भू० ANCHESENTamaaron
SR No.032744
Book TitleMarkandeya Puran Ek Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadrinath Shukla
PublisherChaukhambha Vidyabhavan
Publication Year1962
Total Pages170
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy