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________________ श्री ज्ञातासूत्रनी सज्झायो. जले जाय ॥१॥ सहजसोजागी साधुशिरोमणी. जी । जेहन चरित्र विस्तार ॥ स्वामि सुधर्मा जंबू प्रतें कहेजी। बहा अंग मजार ॥२॥ सहज ॥ आंकण। ॥ नयर राजगृह अति रलीयामणोजी। श्रेणिक तिहां नृपसार ॥ धारणी देवी तसु घरे सुंदरीजी। मंत्री अजयकुमार ॥३॥ स ॥ धारणी देवी गज सु. पर्नु लहेजी। पूज्या पंमितराज ॥ पुत्र होसे नृप तुम्ह घरे राजीयोजी, सीधां सघलां काज ॥ ४॥ स०॥ धारणीने मन मोहलो ऊपनोंजी। त्रीजा मास मकार ॥ पंच वरण जो जलधर ऊनएजी। वरस मोटी धार ॥५॥ स ॥ देव आराधी मोहलो पूरवेजी। मंत्री अजयकुमार ॥ नवमें मासे पुत्ररतन जएयोजी ॥ नामे मेघकुमार ॥ ६ ॥ स ॥ कला बहुत्तर तेह नणावीयोजी । परण्यो रमणी आठ ॥ देव उगंदकनी परे जोगवेजी। विलसे लक्ष्मी थाट ॥ ७॥ स० ॥ तेणे कालें वीर समोसर्याजी । वांदे मेघकुमार ॥ समकावीने ते माता पिताजी, लीधुं संयम जार ॥ ७॥ स०
SR No.032735
Book TitleSazzay Sangraha Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarchandrasuri
PublisherGokaldas Mangadas Shah
Publication Year1922
Total Pages264
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size17 MB
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