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________________ ४८ श्री उत्तराध्ययनमूकनी सज्झायो, दश विध समाचारी । हिव अवर कहु मन धारी ॥ ॥ ५ ॥ सूरज हुवे उदय जिवारें । सवि वस्त्र पलेहे. त्यारे ॥ पडे वैयावच्च सज्जाय । करे धर्म तणाज - पाय ॥६॥ दिवस चिहुं जागे करे । उत्तर गुण - चार ॥ करे सज्जाय प्रथम प्रहर। बीजे ध्यान विचार ॥॥त्रीजे गोयर चरी जाय। बलि चोथे करे सज्जाय, आसाढे प्रगला दोय । पोसे ते चार होय ॥ ७ ॥ आसोज चैत्र त्रण पाय । ए पोरसी मान कहाय ॥ घटे वाधे अंगुल चार । ए मास प्रतें सुविचार ॥५॥ सात दिवस एक आंगुल । पावि बे अंगुल जाण; मास चार इणिपर हुवे । तासु विगत चित आण ॥ १०॥ तिथि अवम वरसें बह जोय । बह तिथि वाधंती होय ॥ तसुपर गीतारथ पासे । समको सिझांत वेसासे ॥ ११॥ हिव पोणीपोरसि कहिये । ते जाणी सुङ सदहिये ॥ जेठ आसाढ श्रावण मासें। ब अंगुल अधिक विमासे ॥ १२ ॥ नाव आसो कातिके । अधिका अंगुल आठ ॥ मगसिर पोसे माघ दश ।
SR No.032735
Book TitleSazzay Sangraha Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarchandrasuri
PublisherGokaldas Mangadas Shah
Publication Year1922
Total Pages264
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size17 MB
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