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________________ श्री उत्तराध्ययन सूत्रनी सज्झायो. श्रीकेशी गौतम सज्जाय २३. ( फार्मनी देशीमां ) केशि कुमर गुण सुंदर पास तो परिवार । ज्ञान चिहुंकर दी पतो जीपतो मयण विकार ॥ सावथ्थी पुरि बहु परिवारें पुहता जाम । गांयम आवे जावे वीर तं हि नाम ॥१॥ यथा जुगति मन रतिकर गमे बे विहरंत | वेस विशेष देखे मुनिवर चित्त लहंत ॥ कुण राचे धर्म साचे कारज कर एक । तोए धर्म वि मर्म कही जे कवण विवेक ॥ २ ॥ चिंता जाणी शिष्य तणी गोयम गुरु के शि । एक यावे जावे साचो तेह उपदेशि || मिलिया दानव मानव जोवा तिहां विवाद | केशी पूढे मन बे शिष्य तणे जे वाद ॥ ३ ॥ पंच महाव्रत संयम गोयम चार प्रकार । महावीर गिरि धीर कहे श्री पासकुमार || इणिपर अंतर जोतां एक मुगति किंम होय । गोयम बोले तोले इह संदेह न कोय ॥ ४ ॥ न लहे इम कहे धर्म सोहेलो रुजु जम जत । वंकरुनें जम न लड़े पाली न सके संत ॥ विरल 1 1 ४१
SR No.032735
Book TitleSazzay Sangraha Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarchandrasuri
PublisherGokaldas Mangadas Shah
Publication Year1922
Total Pages264
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size17 MB
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