SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 222
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्री केशिप्रदेशीप्रबंध-स्वाध्याय. २०९ त ॥ बूझयो सारथपति जणे । सेवीये तेहना पाय॥ धणकण कंचण परिहरी । हुन मुनीसर रायरे ॥१६॥ तसु० ॥ थूलिज गुण गाश्ये । शीलतणो उपदेस ॥ जणे गुणे जेसनले। तेहनाटले किलेसोरे॥१॥तसु॥ श्रीके शिप्रदेशिप्रबंध-स्वाध्याय.. प्रणमुं सिरि जिण पास आस पूरण जगतारक। वामा उर सिरिहंस वंस इखागह नायक ॥ तासु तणो संतान हु गुरुङ गुण केशी । प्रतिबोध्यो जिण हेले सबल राजा परदेशी । तसु सरूप संखेप हिव कहिस्युं गुरु आधार । रायपसेणी नाषियो ते निय चित्त विचार ॥१॥ केकयझ देसंमि नयरि सेयविया नामे । तिहां परदेशी राय हुन नास्तिक परिणामे ॥ जीव देवगुरु धर्म सुगति पुर्गति नहु माने। नाय मित्र तसु चित्र नामे सारथि परधाने ॥सावथ्थी नगरी गयो राजा जितसत्रु नरेश । व्रतधारक श्रावक थयो केशी गुरु उपदेश ॥ २॥ गुरु निमंत्रि करि रङकङ सोनिज घर आव्यो । पहुता केशिकुमार जाणि वनपाल १४
SR No.032735
Book TitleSazzay Sangraha Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarchandrasuri
PublisherGokaldas Mangadas Shah
Publication Year1922
Total Pages264
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy