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________________ १९० श्री सोल सतीयोनो सज्झायो. नारकीनी परे वेदना । जोगवे दिन रात रे ॥ १३॥ शील ॥ कूप पनीया चार बोले । काढो मोरी माय रे॥ नूप जीती घरे आव्यो । मुहूर्ते तेमयो राय रे ॥१४॥ शील॥ रसवती बानी नीपाश् । कहे राय विचार रे ॥ सामग्री का जिमण केरी । दीसे नही तुम्हा वार रे ॥ १५ ॥ शील ॥ मंत्री बोले जद अम घरे । पूरे वंडित सिद्धरे ॥ जिमी राय मंत्रिपासे । यद मांगणी धरे ॥ १६ ॥ शील ॥ चिहुं पूरी मंजूस मांहि । घाली नृपने दीधरे ॥ रांक सरीखा चिहूं देखी । कहे नृप स्युं कीधरे ॥ १७ ॥ शील० ॥ शीलवतीना गुण वखाणे । अरिमर्दन तिहां रायरे ॥ बहिन मानी पगे लागी । कीधो घणो पसाय रे॥ १७ ॥ शील ॥ अजितसेने सती साथे । सार्यो आतम काज रे ॥ नास एणीपरे हुए अग्यारे । पत्नणे मुनि मेघराजरे ॥ १५ ॥ शील० ॥
SR No.032735
Book TitleSazzay Sangraha Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarchandrasuri
PublisherGokaldas Mangadas Shah
Publication Year1922
Total Pages264
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size17 MB
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