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________________ परिशिष्ट-१ गाथा .......१०४ .८० ५ना ...................०० पृष्ठ | गाथा परिवेसणपंतीए दूरपवेसे....॥३७२।।.............९१ | पुत्तस्स विवाहदिणं....॥३१५॥ ....... परिसडियपंडुपत्तं वणसंड...॥५५४॥ ......... १३३ | पुप्फाणं पत्ताणं...॥६०॥..................... परिसेय-पियण-हत्था...॥३०॥...... पुर-पच्छकम्म-ससिणि...॥५७१॥ ..... पल्लीवहम्मि नट्ठा चोरा...॥१४७॥ ............. ३६ | पुट्विं पच्चासंथव....॥४३९॥ ............ पवयणमाया बंभव्वयगुत्तिओ...॥७७॥ ........ .. २० | पूतीकम्मं दुविहं दव्वे....॥२६६॥ .......... पाएण देइ लोगो....॥४८४॥ ................ ११६ | पोरिसितिगमच्चित्तो...॥५६॥ ................... पाओकरणं दुविहं....॥३२५॥............... | बंधइ अहे भवाउं...॥१२२॥ ................. पागडपगासकरणे कयम्मि....॥३३२॥ .......... ८२ | बज्झइ य जेण कम्म...॥७९॥ .............. पादुयदुरूढपडणं बद्धे...॥६२०॥............. | बत्तीसं किर कवला...॥६७८॥ .............. पामिच्चं पि य दुविहं....॥३४३॥........... | बत्तीसा सामण्णे ते....॥४०५॥ ................ ९७ पायस्स पडोयारं...॥३५॥ .................. | बत्तीसादि परेणं पकाम...॥६८१॥ ........... १६३ पायस्स पडोयारो...॥३६॥................ .११ | बहुयातीतमइबहुं अतिबहुसो...॥६८३॥ ...... १६३ पासंडीय-समणाणं गिहि...॥१६७॥ ...... . ४० | बादर सुहुमं भावे उ....॥२७२॥ .... पासंडीसु वि एवं...॥१६५॥................... ४० | बायालीसेसणसंकडम्मि गहणम्मि...॥६७०॥ . १६० पासोलित्तकडाहे णऽच्चुसिणे...॥५९१॥....... १४१ |बाले वुड्ढे मत्ते...॥६०८॥ ................... पासोलित्तकडाहे परिसाडी...॥५८९॥......... १४१ / बिय-तिय-चउरो पंचेंदिया...॥६२॥............ १६ पाहडिठवियगदोसा तिरि...॥६३१॥ .......... १५१ | बेइंदियपरिभोगो अक्खाण...॥६३॥ ............ १६ पाहुडिभत्तं भुंजइ ण....॥३१८॥ ............... ७९ | भंडगपासवलग्गा उत्तेडा...॥२६॥ ........... पाहुडियं च ठवेंती...॥६१३॥ ............... १४७ | भजंती य दलेंती...॥६१०॥................ पाहुडिया वि य दुविहा....॥३१०॥ ...........७७ भणइ य णाहं वेजो....॥४९०॥.......... पिंड-निकाय-समूहे ...॥२॥.....................३ | भावे पसत्थ इतरा....॥४३७॥.............. पिंडण बहुदव्वाणं...॥८॥........................४ भावेसणा उ तिविहा...॥९२॥ .............. पिंडस्स उ निक्खेवो...॥३॥ .....................३ भावोवयारमाहेउ अप्पए...॥१२१॥ ............ पिंडे उग्गम उप्पाय...॥१॥ ......................१ भिक्खग्गाही एगत्थ कुणइ....॥३०९॥ ......... ७५ पिहिउब्भिण्णकवाडे फासुय....॥३७४॥ ........ ९१ भिक्खादिगतो रोगी किं....॥४९१॥ .......... ११७ पीसंती णिप्पिढे फासु...॥६३८॥ ............ १५३ भिक्खादी वच्चंतो....॥४६२॥ ............... १११ पुढवी आउक्काए..॥१६॥ .................. भिक्खामेत्ते अविचारणा...॥६३२।।........... १५१ पुढवी-आउ-वणस्सति...॥५६९॥............ १३६ | भिक्खुदगसमारंभे कहणाउट्टो....॥३४६॥....... ८५ पुढवी-आउक्काए तेऊ...॥५७८॥............. १३८ | भिक्खू जहन्नगंमी गेरुय....॥३८५। ............ ९३ पुढवीकाओ तिविहो...॥१७॥....................६ । भिक्खे परिहायंते...॥५३६॥ .. ................ १२९ १४६
SR No.032703
Book TitlePind Niryukti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaysundarsuri
PublisherDivyadarshan Trust
Publication Year2011
Total Pages226
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pindniryukti
File Size30 MB
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