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________________ 1st INTERNATIONAL JAIN CONFERENCE ता, २८-१२-२०१ वासरा. समा सुभावक हेव-गुरु कृपाधी सुखशाता छे त्यो यस मेमन हो, ता. १८ रहने १७भी भन्युरतरीना राठ संयुक्त तत्वावधानले किटा खने श्रुत रत्नाकर ना सापभीको व्यांतरराष्ट्रीय नैन डोन्टूरान्सनु सायोजन गर्नुहो जूजन अनुमोहनीय रच्ने घासुन श्रमसाध्य कार्य छो सा अन्ड्रान्समी के राष्ट्रीय खळे खोतरराष्ट्रिय विद्वानी es seg घा विक्षमी राय थरो के उपायो बता स्कू हरखेना भवन प्रयोगात्म ठेवी जावे भवननी न लाग ठेवी रीते जने खेळ सातुरता पहा थाय दूसरे सार्थ मिशन खूप सहजताने पाने रंगवा नेत विश्व समान स्परन विषयो पूर्व सामाजित शुभ सुतेन्य भतार समर्थ अँड रोई रान का कतुलाई योग, धर्मलाल कुछ कुछ चिंतको रच्ने द्वारा नैन शासनकी उन्नति मारे बोध से सेना मनोमंथन रहने कहा कुछ सने त्यायो समपरण मानसिकलने कामज (20
SR No.032684
Book Title1st Jain International Conference
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaina Jito Shrutratnakar
PublisherJaina Jito Shrutratnakar
Publication Year2020
Total Pages40
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size13 MB
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