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________________ गया बुलाया । इन्होंने जम्मू आकर सराफे का रोजगार शुरू किया । इनके ९ पुत्र हुए, जिनमें एक मरपतशाहजी थे। आपने जम्मू के व्यापारियों में अच्छी इज्जत हासिलकी थी 1 लाला नरपत शाहजी के श्यामेशाहजी, नत्थूशाहजी तथा चेनेशाहजी नामक ३ पुत्र हुए। इन बन्धुओं में लाला श्यामेशाहजी महाराजा काशमीर की जनानी ब्योदी में माल सप्लाय करने का काम करते थे और नत्थूशाहजी अपने बड़े भ्राता के साथ व्यापार में सहयोग देते थे। आपका स्वर्गवास संवत् १९४४ में हुआ । लाला चैनेशाहजी अपने दोनों भाइयों के पहले गुजर गये थे । लाला श्यामेशाहजी के ४ पुत्र हुए अभी इनमें कोई विद्यमान नहीं है। लाला नत्थूशाह के लाला फग्गूशाहजी, बोगाशाहजी, नानकचन्दजी और पनालालजी नामक ४ पुत्र विद्यमान हैं। लाला फग्गुशाहजी का जन्म संवत् १९१९ में हुआ । आपके यहाँ सराफी का व्यापार होता है । आप जम्मू की जैन सभा के प्रेसिडेण्ट हैं और यहाँ की जैन बिरादरी के प्रतिष्ठित पुरुष हैं । आपके पुत्र रतनचन्दजी दुकान के व्यापार को सम्हालते हैं । इनके पुत्र हीरालालजी हैं। लाला पन्नालालजी के पुत्र दर्शनकुमारजी हैं। लाला पंजाबरायजी का खानदान, मलेरकोटला (पंजाब) इस खानदान के लोग श्री जैन श्वेताम्बर स्थानकवासी आम्नाय को मानने वाले हैं। इस खानदान में लाला पंजाबरायजी हुए। आप इस परिवार में बहुत मशहूर और नामी व्यक्ति हो गये हैं । आपके लाला शीलूमलजी एवं लाला बस्तीमलजी नामक दो पुत्र हुए । लाला शीलूमलजी को गुजरे करीब ४० वर्ष हो गये हैं। आपके लाला कपूरचन्दजी, हमीरचंदजी एवम् लाकजीमलजी नामक तीन पुत्र हुए । लाला कपुर चन्दजी को गुजरे करीब ३० वर्ष हो गये हैं । आपके लुम्बारामजी, मुंशीरामजी एवं चन्दनमलनी नामक तीन पुत्र हुए। लाला हमीरचन्दजी के लाला खैरातीलालजी नामक एक पुत्र हुए। लाला लालजीमलजी का जन्म संवत् १९१५ का है। आप इस समय विद्यमान हैं । आपने इस खानदान की इजत व दौला को खूब बढ़ाया। आपकी यहाँ पर बहुत प्रतिष्ठा है । आपके एक पुत्र लाला हरिचंदजी हैं। आप बड़े सज्जन हैं। आप मलेरकोटला कौंसिल तथा म्यूनिसिपल के मेम्बर हैं। इसके अतिरिक्तयहाँ की कोर्ट के असेसर तथा मलेरकोटला जैन पंचायती के चौधरी भी हैं । यहाँ के अनाथालय के आप खजांची हैं। आपके इस समय दो पुत्र हैं जिनके नाम भगवानदासजी एवम् हुकुमचन्दजी हैं। इनमें भगवानदासजी का केवल २३ वर्ष की आयु में ही स्वर्गवास हो गया हैं । हुकुमचन्दजी का जन्म सम्वत् १९६५ का है । आपके इस समय राजकुमारजी एवं पवनकुमारजी नामक दो पुत्र हैं। आपके यहाँ पर गल्ला और कमीशन एजेंसी को काम होता है। ४४५
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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