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________________ गधैया का सं० १९६४ में, माणकचन्दजी का सं० १९७४ में तथा केशारीचन्दजी का स्वर्गवास संवत् १९८७ में हुआ। श्रीयुत माणकचन्दजो के जवाहरमलजी नामक एक पुत्र हुऐ मगर आपका भी देहान्त हो गया। आपके मानमलजी नामक पुत्र हुए। आपका देहान्त केवल १८ वर्ष की उम्र में सं. १९७० में हो गया । आपके कोई पुत्र न होने से केशरीचन्दनी के छोटे पुत्र इन्द्रचन्दजी जिनका वर्शमान नाम महेन्द्रकुमारसिंहजी हैं दत्तक रक्खे गये । इस समय इस फर्म के मालिक श्रीयुत केशरीचन्दजी के बड़े पुत्र पानमलजी, मानमलजी के पुत्र महेन्द्रकुमारजी तथा मंगलसिंहजी हैं । आपके वहाँ इस समय जवाहिरात का काम होता है। आपकी फर्म नागपुर में इतवारी बाजार में तथा सदर बाजार में है। यह परिवार नागपुर की ओसवाल समाज में बहुत प्राचीन तथा प्रतिष्ठा सम्पन्न माना जाता है। जौहरी पानमळजी बड़े रईस तवियत के उदार पुरुष हैं। भापका परिवार कई पीढ़ियों से जवाहरात का म्यापार करता आ रहा है। ___लाला नत्थूशाह मोतीशाह, सियालकोट (पंजाब) यह परिवार गधैया गोत्रीय है तथा जैन श्वेताम्बर स्थानकवासी आम्नाय को पालन करने वाला है। यह खानदान बहुत लम्बे अर्से से सियालकोट में रहता है । लाला टिंडेशाहजी के पुत्र नारायणशाहजी सियालकोट के प्रसिद्ध बैंकर थे। आप राज घरानों के साथ बैकिग बिजिनेस करते थे। आपके लाला रामदयालजी, लाला साहबदयालजी तथा लाला सोनेशाहजी नामक ३ पुत्र हुए । लाला सोनेशाहजी के ला. देवीवित्ताशाहजी, ला. गंगाशाहजी, तथा ला• जेठशाहजी नामक तीन पुत्र हुए। इनमें यह परिवार लाला जेठ शाहजी का है। भापके नन्थूशाहजी, मोतीशाहजी, खजांचीशाहजी तथा लखमीचन्दजी नामक चार पुत्र हुए। लाला नत्थूशाह जी का जन्म संवत् १९३१ में हुभा । आप इस खानदान में बड़े हैं तथा सियालकोट की जैन बिरादरी में मोअज्ज़िज पुरुष हैं। . २० सालों तक भाप यहां की जनसभा के प्रेसिडेंट रहे । ___ लाला मोतीशाहजी का जन्म सं० १९३४ में हुआ। आप भी सियालकोट के प्रसिद्ध व्यक्ति हैं। सन् १९०८ से आप इस समय तक स्थानीय म्युनिसिपैलिटी के मेम्बर हैं। सन् १९१३ में आप सैण्ट्रल बैंक के केशिभर बने। इस समय आप उसकी स्थानीय ब्रांच के व्हाइस प्रेसिडेण्ट हैं। युद्ध के समय भापने गवर्नमेंट को रंगरूट भरती कराकर तथा रुपया विळाकर काफी इमदाद पहुंचाई। आप यहां के
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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