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________________ ओसवाल जाति का इतिहास बालचन्दजी बड़े प्रतिष्ठा सम्पन्न व्यक्ति हुए। आपके विश्वास से लोहावट, फलौदी, खिचंद आदि के कई ओसवाल गृहस्थों ने सी० पी० में अपना व्यापार जमाया। सेठ गुलाबचन्दजी के हीराचन्दजी, सेठ रघुनाथदासजी रतनलालजी, कँवरलालजी, तेजपालजी सेठ बालचंदजी के रामलालजी और गेंदमलजी के भीकमचंदजी नामक पुत्र हुए। इन बन्धुओं ने लोहावट -विसनावास में संवत १९५७ में श्री चंदाप्रभु स्वामी का मंदिर व धर्मशाला बनवाई । अकाल में लोगों को मदद दी । संवत् १९५० में इन सब भाइयों का कारबार अलंग-अलग हुआ । चोपड़ा रतनलालजी - आप उम्र भर मारवाड़ ही में रहे तथा आतिथ्य सत्कार मैं नामवरी पाते रहे । सम्वत् १९८९ में आपका स्वर्गवास हुआ। आपके कन्हैयालालजी, जमनालालजी, सोहनलालजी फूलचंदजी तथा भोमराजजी नामक ५ पुत्र विद्यमान हैं। इनमें जमनालालजी तेजमालजी के नाम पर दत्तक गये हैं । चोपड़ा तेजमालजी आप बड़े योग्य और कुशल व्यापारी थे। आपने तमाम दुकानों का काम बड़ी बुद्धिमत्ता पूर्वक सम्हाला । आपके नाम पर जमनालालजी दत्तक आये । चोपड़ा रामलालजी - आपका जन्म सम्वत् १९२६ में हुआ । आप बड़े दयालु तथा धर्मात्मा पुरुष हो गये हैं । आपने राजनांदगांव में पांजरापोल को स्थापित किया । सम्वत् १९५५ तथा ६२ में मनुष्य तथा पशुओं को बहुत इमदाद पहुंचाई। इसी प्रकार के दिव्य गुणों से आपने विशेष नाम पाया । सम्वत् १९६४ में आप स्वर्गवासी हुए। आपके पुत्र चोपड़ा आसकरणजी विद्यमान हैं । चोपड़ा जमनालालजी बी० ए० एल० एल० बी० - आपका जन्म सम्वत् १९५० में हुआ । सन् १९१७ में आपने एल० एल० बी० की डिगरी हासिल की तथा १९१८ से आप रायपुर में प्रैक्टिस करते हैं। आप यहाँ के प्रतिष्ठित वकील माने जाने हैं। आपकी रायपुर के शिक्षित समाज में अच्छी प्रतिष्ठा है । चोपड़ा श्रासकरणजी -- आपका जन्म संवत् १९५९ में हुआ। आपकी फर्म सेठ बालचंद रामलाल के नाम से व्यापार करती है, तथा रायपुर छत्तीसगढ़ प्रान्त की प्रसिद्ध फर्म मानी जाती है । शिक्षा की ओर आपको अच्छी रुचि है। इस समय आप १ हजार रुपया सालाना व्यावर गुरुकुल को सहायता देते हैं। इसके अलावा लोहावट में आपकी एक कन्या पाठशाला और होमियोपैथिक डिस्पेंसरी है। परदा प्रथा को आपने तोड़ने का प्रयत्न किया है। इसी तरह इस परिवार में हीराचंदजी के पुत्र माणकलालजी, कंवरलालजी के पुत्र केसरीचंदजी, चंदनमलजी, सम्पतलालजी और प्रतापचंदजी हैं। कंवरलालजी के बंदे पुत्र चम्पालालजी का स्वर्गवास
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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