SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 926
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ मोसवाल जाति का इतिहास अम्बालालजी-भापका जन्म संवत् १९५२ के ज्येष्ठ सुदी १३ को हुआ। आप यहां स्टेट में इन्जीनियरिंग डिपार्टमेण्ट में सन् १९१२ से ओवरसियरी का काम कर रहे हैं। आपके इस समय चार पुत्र हैं। पुत्रों के नाम मवरलालजी, उदयलालजी, मनोहरलालजी और जीवनसिंहजी हैं। इनमें से बड़े तीनों पुत्र विद्याध्ययन कर रहे हैं। सेठ गम्भीरमल कनकमल डोसी, भोपाल ___ लगभग ७० । ७५ साल पूर्व मेड़ते से डोसी गंभीरमलजी भोपाल आये और यहाँ दुकान की। आपके सिरेमलजी तथा कनकमलजी नामक दो पुत्र हुए। डोसी कनकमलजी के पुत्र नथमलजी हुए तथा सिरेमलजी के नाम पर भेरूमलजी दत्तक लिये गये। कनकमलजी और सिरेमलजी का कारवार उनकी मौजूदगी में ही अलग अलग होगया था। डोसी नथमलजी का जन्म संवत् १९३७ में हुआ था । आप भोपाल म्युनिसिपैलेटी के १२ सालों तक मेम्बर रहे, संवत् १९७५ में आपका शरीरान्त हुआ। आपके पुत्र डोशी राजमलजी का जन्म संवत् १९५४ के भादवा मास में हुआ। डोसी राजमलजी ने मेट्रिक तक शिक्षा प्राप्त की है। तथा अपनी फर्म पर कई नये व्यापार खोले हैं। संवत् १९८६ से आपने राजमल केशरीमल के नाम से भेलसा में दुकान की। भोपाल में राजमल जवाहरमल के नाम से हार्डवेअर, इलेक्ट्रिक व मोहर गुड्स, जनरल मर्चेण्डाइज़ तथा गंभीरमल कनकमल के नाम से इम्पोर्ट ब्यापार होता है। डोशी राजमलजी की फर्म भोपाल के व्यापारिक समाज में प्रतिष्ठित समझी जाती है, आप यहां ६ । ७ सालों से ऑनरेरी मजिस्ट्रेट भी हैं। दूगड़ गौत्र की उत्पत्ति दूगड़ गौत्र की उत्पत्ति राजपूत चौहान वंश से है। यह राजवंश पहिले सिद्धमौर और फिर अजमेर के पास बीसलपुर नामक स्थान में राज्य करता था। सन् ८३८ में इस राजवंच में राजा माणिक देव हुए जिनके पिता राजा महिपाल ने जैनाचार्य श्री जिनवल्लभसूरिजी से जैनधर्म अंगीकार किया। आपके मशः दो तीन पीढ़ी बाद दूगद और सूगढ़ नामक दो भाई हुए इन्हीं के नाम से दूगड़ गौत्र चका ।
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy