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________________ प्रोसवाल जाति का इतिहास शिवलालजी-भाप महाराणा भीमसिंहजी के प्रधान नियुक्त रहे । आप बड़े वीर तथा पराक्रमी व्यक्ति थे। आपकी सेवाओं के उपलक्ष्य में मेवाड़ के तत्कालीन महाराणा ने आपको तथा आपकी स्त्रियों को पैरों में सोना बक्षा था। इतना ही नहीं वरन् भापको रियासत से सात गाँव की जागीर देकर पूर्ण रूप से सम्मानित किया था। आपने स्वर्गवासी होने पर आपकी पत्नी आपके साथ सती हुई जिनकी छत्री आज भी महा सतियों में मौजूद है। आपके कोई पुत्र न था। अतएव आपने अपने नाम पर अपने दामाद गेगराजजी को गोद लिये । इसके पश्चात् इस खानदान में चतुरसिंहजी घटुंडिया दत्तक आये। भाप दरबार की चाकरी में रहे। आपको भी वही इज्जत हासिल थी जो पहले दीवान शिवलालजी को थी । भापका स्वर्गवास संवत् १९६८ में हो गया। आपके पुत्र शाह माधोसिंहजी घडिया है। वर्तमान में आप ही इस खानदान में प्रमुख हैं । आपको महाराणा साहब फतेसिंहजी ने टकसाल पर दरोगा नियुक्त किये थे । आपका जन्म संवत् १९४३ में हुमा । आपकी भी दरबार में वही इज्जत चली आती है। आपके मालमसिंहजी नामक एक पुत्र हैं जो इस समय विद्याभ्यास कर रहे हैं। शाह हरिसिंहजी घलुण्डिया का खानदान, उदयपुर __इस खानदान के पूर्वजों का मूल निवासस्थान बेगूं (मेवाद) का है। आप लोग पहले बेगू की दीवानगिरी करते थे। तदनंतर शाह चम्पालालजी बेगूसे कोठारिया आये जहाँ पर आपको जागीरी आदि इनायत कर वहाँ के तत्कालीन ठाकुर ने सम्मानित किया । यह जागीरी आज भी आपके वंशजों के पास विद्यमान है । आप कोठारिया और बेगू दोनों की वकालात का काम करते थे । आपके गोपाललालजी नामक एक पुत्र हुए । आप भी उक्त ठिकानों के अतिरिक्त कई और ठिकानों के भी वकील रहे । आप वहाँ से उदयपुर चले आये । तभी से भापके वंशज उदयपुर में रहते हैं । आपके पुत्र शाह मोड़ीलालजी घलुण्डिया हुए भाप बेगूं के कार्यकर्ता थे तथा मापने उदयपुर राज्य में प्रथम श्रेणी के जिला हाकिमी के पद पर काम किया। भापके हरिसिंहजी, रुधनाथसिंहजी तथा हिम्मतसिंहजी नामक तीन पुत्र हैं। ____आप तीनों भाइयों का जन्म क्रमशः संवत् १९४७, ४९, तथा ६२ में हुआ। शाह हरिसिंहजी मेवाड़ के कई गांवों में हाकिमी के पद पर रहे तथा मापने भिण्डर ठिकाने की मैनेजरी भी बड़ी पोग्यता से की है । शाह रुधनाथसिंहजी बेगूं आदि ठिकानों की वकालात का सारा काम करते रहते हैं । आपके जगनाथसिंहजी नामक एक पुत्र विद्यमान हैं। शाह हिम्मतसिंहजी बड़े शिक्षित तथा समाज सुधारक हैं। भाप इस समय लखनऊ कालेज में एम० ए० एल. एल. बी० का अध्ययन कर रहे हैं। आप साथ ही साथ मिलिटरी की शिक्षा भी पा रहे हैं। आपके इस समय एक पुत्र विद्यमान है।
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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