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________________ ज्योढ़ी वाले मेहता की ओर से कई सम्मान प्राप्त है। आपके मेहता रुषलली तथा मन्दलालजी नामक दो पुत्र हुए। मेहता रुघलालजी ने भी अपने पिताजी के बाद नौ साल तक जनानी ब्योदी का काम किया । आप भी बड़े योग्य और समझदार व्यक्ति हैं। आपको उदयपुर राज्य की तरफ से बैठक, सुनहरी पवित्रा व सवारी में घोड़ा आगे रखने का सम्मान भी प्राप्त है। इसी प्रकार आपके पिताजी मेहता पत्रालालजी को भी यही सब सम्मान बक्षे गये हैं। मेहता रुपलालजी के रोशनलालजी, तेजसिंहजी, छगनमलजी, रणजीतलालजी तथा उदयलालजी नामक पांच पुत्र हैं। मेहता रोशनलालजी के समरथमलजी नामक एक पुत्र हैं। मेहता नन्दलालजी के लक्ष्मीलालजी नामक एक पुत्र है। मेहता देवीचंदजी का परिवार-आपके मेहता इन्दरचन्दजी, मगनचन्दजी तथा पन्नालालजी नामक तीन पुत्र हुए। इनमें मेहता पचालालजी मेहता प्यारचन्दजी के नाम पर गोद चले गये। मेहता इन्दरचन्दजी के गिरधारीसिंहजी एवम् गोविंदसिंहजी नामक दो पुत्र हुए। इन में से मेहता गोविन्दसिंह जी अपने काका मगवचन्दजी के बाम पर दत्तक गये। ___ मेहता गिरधारीसिंहजी-बाप बड़े योग्य तथा समझवार सज्जन हैं। आपके कार्यों से प्रसन्न होकर महाराणा भोपालसिंहजी ने आपको दरीखाने को बैठक, नाव की बैठक, बलेणा घोड़ा व सोने की पवित्रा बक्ष कर सम्मानित किया है। उदयपुर में आपकी अच्छी प्रतिष्ठा है। इस समय आप जनानी व्योदी का काम काज देखते हैं। आपके बिहारीलालजी, दुरजनमलजी, कनकमलजी, छगनमलजी, मोठालालजी तथा फतेहलालजी नामक छः पुत्र हैं। कुंवर विहारीलालजी-आप B.A. L. LB. तक पढ़े हुए हैं। मेवाड़ में आप एक ऐसे सज्जन हैं जो बी० ए० में सर्व प्रथम उत्तीर्ण हुए थे। मापने अपने पुश्तहापुरत के जनानी ड्योदी के काम को छोड़ कर डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेटी का काम किया। इस समय आप सिटी मजिस्ट्रेट के पद पर काम कर रहे हैं। आपके संतोखचन्दजी नामक पुत्र हैं। जिस समय मैं• संतोखचन्दजी का जन्म हुआ था उस समय बड़ा उत्सव किया गया था और आपके पददादा इन्दरसिंहजी सोने की निसची पर चढ़े थे । पुं० विहारीलालजी को भी राज्य की ओर से दरबार में बैठक, नाव की बैठक, सोने का पवित्रा तथा सवारी में आगे घोड़ा रखने का सम्मान प्रासहै। कनकमलजी पोलिस में सुपरिन्टेन्डेन्ट की शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। मेहता गोविन्दसिंहजी के पुत्र हजारीलालजी इस समय एल. एल. बी. में इसी प्रकार मेहता देवीचन्दजी के पिता जवरचंदजी और गणराजजी दोनों सगे भ्राता थे। इसमें जबरचंदनी के वंशजों का वर्णन हम ऊपर दे चुके हैं। मेहता गणराजजी के दीपचन्दजी नामक एक पुत्र
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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