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________________ मुरड़िया माल था। वहाँ से इस परिवार के प्रसिद्ध पुरुष हीराजी को संवत् ११३४ में उदयपुर के तत्कालीन महाराणा वीरवर प्रताप ने भामाशाह के द्वारा बड़े भादर सहित बुलाकर उदयपुर में बसाया। तभी से मापके वंशज उदयपुर में निवास कर रहे हैं। हीराजी के गोगाजी, बछराजजी, देवाजी तथा दूदाजी नामक चार पुत्र हुए । मुरदिया बच्छराजजी मे बार में तलवायनी के मंदिर में ४५०००) की लागत से पावन जिनालय बनाये। भाप लालाजी तालावी बाम के दो पुत्र हुए। लालाजी के पुत्र नगराजजी ने प्रसाद में एक बड़ा मंदिर बनाया तथा मवार में शांतिवापसी के मंदिर की प्रतिष्ठा वाई । भापके हाथों से अपनी कुलदेवी की प्रतिमा नदी में गिर गई। तभी से इस परिवार वाले कुलदेवी के बदले पीपल की पूजा करते हैं। आगे जाकर इस परिवार में पुरडिया भीमलजी बड़े ही नामांकित व्यक्ति हुए । आपके अम्बावजी, चम्पालालजी, ज्ञानचन्दजी, फतेलाची, प्यारचन्दजी तथा अर्जुनलालालजी नामक छः पुत्र हुए। भाप सब भाइयों के परिवार इस समव उदयपुर में निवास कर रहे हैं। मुरड़िया अम्बावजी-आपका सं० १८९५ में अन्न हुमा । आप प्रारंभ में उदयपुर राज्य के मसिस्टंट स्टेट इंजीनीवर स्था संवत् १९१५ में स्टेट इंजीपीवर के पद पर नियुक्त किये गये आपके द्वारा बड़े काम किये गये है। उदयपुर के सुप्रसिद और मयंत ही मनमाम्यूनिवास महल, जगनविकास तथा नाहर मनरे में शम्भूप्रमान तथा शम्भूविलास नामक महल बाप ही की निगरानी में बसपाये गये थे। इसी प्रकार सजनगढ़ और कई सड़कें भी आपके द्वारा बनवाई गई थीं। मापकी इन बहु मूल्य सेवामों से प्रसन होकर महाराणाने आपको सं० १९३१ में बलेया घोड़ा का सम्मान बख्शा। इसी तरह महाराणा शम्भूसिंहजी ने भी आपको रैव नामक गाँव व एक बाड़ी इनायत कर सम्मानित किया था। महाराणा सज्जनसिंहजी की भी भाप पर बड़ी कृपा थी। वे इनको अम्बाव राजा के नाम से सम्बोधित करते थे। महाराणा फतेसिंहजी आपसे बड़े प्रसव रहे। भापका संवत् १९५१ में स्वर्गवास हुआ। आपका अग्निसंस्कार महासतियों में हुआ। तथा वहीं पर आपकी स्त्री भी बनी हुई है। आपके कोई पुत्र न होने से आपके नामपर आपके छोटे भाई ज्ञानजी के मेटे पुत्र हीरालालजी दत्तक माये । ___मुरड़िया हीराखालजी-आपका सं.१९३० में जन्म हुवा था । भाप ने भी पी० सम्ल्यू. डी० में सर्विस की। आपके द्वारा कुम्भलाद के महल, चित्तौड़गढ़ का फतह प्रकाश महरू, उदयपुर का मिष्टहॉल (दरबार हॉस) आदि कई सुन्दर भवन बनवाये गये। जिनमें लाखों रुपये खर्च हुए। इसके अतिरिक्त भारत प्रसिद रमणीय "सहेलियों की बाड़ी" नामक प्रसिद्ध बगीचा मी मापकी निगरानी में बना था। इसी प्रकार स्टेट की कई जीनिंग फेक्टरियों, तालाब वगैरह मापके द्वारा निर्मित करवाये गये । आपकी
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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