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________________ श्रोतवास माति का इतिहास कुमार दावत मरोगने के लिये भापकी हवेली पर पधारे। उस रोज आपको पगडी में मांझा बांधने का सम्मान प्रदान किया। संवत् १९९८ में आपने स्वर्ग यात्रा की। आपके शवदाह के स्थान पर महा सतियों में एकछत्री बनाई गई। आपके दो पुत्र एवम् एक कन्या हुई। पुत्रों का नाम क्रमशः मेहता जगन्नाथसिह जी और मेहता समनसिंहजी है। आपकी पुत्री का विवाह मेवाड़ के सुप्रसिद्ध सेठ जोरावरमलजी बापना के कंचन वजीरगीला रायबहादुर सिरेमरूजी बापना सी. आई.ई. प्राइम मिनिस्टर इन्दौर स्टेट के साथ - मेहता जगन्नाथसिंहजी-आपका जन्म संवत् १९४२ में हुआ। आप बड़े कुशाग्र बुद्धि के सन है। आपने हिन्दी एवम् अंग्रेजी शिक्षा का अच्छा अध्ययन किया है। संवत् १९६० में महाराय साहब ने आपको खास खजाने के काम पर नियुक्त किया। इसी समय आपके पिता मेहता भोपालसिंहजी के सुपुर्द राजपुत्र हितकारिणी समा, टकसाल, एवम् देलवाड़े की नाबालिगी का प्रबन्ध था। यह सब काम भी आपही करते थे। आपके पिताजी का स्वर्गवास होजाने पर महाराणा साहब ने आपको अपनी पेशी का काम सुपुर्द किया। आपकी योग्यता से प्रसन्न होकर संवत् १९०१ में आपको और राय बहादुर पं० सुकदेवप्रसादजी को महकमा खास के प्रधान बनाये। इसी समय मापको 'जीकारे' की भी बत बीसी। तथा इसी साल पैर में सोने के लंगर प्रदान किये। संवत् १९७३ में शील सप्तमी पर महाराणा साहब आपकी हवेली पर पधारे। संवत् १९७५ में जब कि पंडित शुकदेप्रसादजी जोधपुर चले गये तब आपही अकेले महकमा खास का काम करते रहे। इसके बाद संवत् १९७७ में लाला दामोदरलालजी, पं० शुकदेवप्रसादजी के स्थान पर आये। संवत् ७८ तक आप दोनों ही महकमा खास का काम करते रहे। वर्तमान में आप मेम्बर कौंसिल और कोर्ट माफ वाद् के अफसर हैं। आपका विवाह संवत् १९५६ में उदयपुर के भूतपूर्व दीवान कोठारी बसवन्तसिंहजी की पुत्री के साथ हुआ है। भआपके चार पुत्र हैं जिनके नाम क्रमशः हरनाथसिंहजी, सवाईसिंहजी, जीवनसिंहजी, और मनोहरसिंहजी है। इनमें से बड़े पुत्र हरनाथसिंहजी बी० ए० हैं और अकाउण्ट्स लिखने के लिये स्टेट की ओर से देहली भेजे गये हैं। शेष तीन विद्याध्ययन करते हैं। मेहता गुमानजी का परिवार । शेरसिंहजी के तीसरे भाई गुमानजी के ज्ञानसिंहजी नामक पुत्र हुए । ज्ञानसिंहजी के पुत्र न होने से उनके नाम पर जवानसिंहजी दत्तक लिये गये । भापके स्वनाथसिंहजी नामक एक पुत्र हुए। जो मेवाड़ के सहा जिले के हाकिम रहे। आपके पुत्र मेहता भीमसिंहजी इस समय
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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