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________________ मेहता बागरेचा बरसों से उन्हें जानता हूँ और उनकी बोमाता की तस्लीम करता हूँ"।"........"ईसवी सन १८४० में एक बार महाराज नरसिंहगढ़ ने मेहता सतावरमलजी को एक सम्माननीय ऊँची जगह पर बुलवाया था, पर भूतपूर्व महाराजा जसवंतसिंहजी इनसे इतने प्रसव थे कि उन्होंने इन्हें वहाँ न जाने दिया और जोधपुर स्टेट ही में ऊँची २ जगह देने का आश्वासन दिया। इस बचन की पूर्ति के लिए महाराजा ने इनकी तनख्वाह बढ़ाई और यह हुक्म कर दिया कि मेहता बख्तावरमल चाहे जिस ओहदे पर रहे, मगर तनख्वाह उसकी जाति तनख्वाह कर दी जावे ।" इसी प्रकार और कई पुलों ने समय २ पर आपके कार्यों की बढ़ी प्रशंसा की। आपका सार्वजनिक जीवन भी उँचे दर्वे का है। संवत् १९५७ में आप अखिल भारतीय स्थानक वासी जैन कान्फरेंस के फलौदी वाले प्रथम अधिवेशन के सभापति बनाए गये। इसके पश्चात् आप जोधपुर साहित्य सम्मेलन की-जोकि मुनि विजयधर्मसूरिजी के भाग्रह से हुआ था और जिसके सभापति श्री सतीशचन्द्र विद्या भूगल थे-स्वागत कारिणी समिति के सभापति बनाए गये थे। इस अवसर पर अर्मबी के सुप्रसिद्ध जैव विज्ञान या हरमन जैकोबी भी जर्मनी से पधारे थे। इस समय आप सब कामों से अवसर ग्रहण कर शांति काम कर रहे है । माप बसवन्तमम्जी और रणजीतमलजी नामक दो __ मेहता जसवंतमलजी--मापका जन्म संवत् १९३८ में हुआ । मापने महाराज सरदारसिंहजी के साय नोबक स्कूल में शिक्षा पाई। संवत् १९९९ में आप जोधपुर के हाकिम हुए। संवत् १९७६ से १९८५ तक आप कुचामन ठिकाने के मैनेजर रहे। आपके समय में कुचामन ठिकाने की अच्छी उन्नति हुई और भापही के समय में वहाँ स्कूल, हॉस्पिटल और सड़क मादि का निर्माण हुआ। स्वयं दरबार एवम् दूसरे अफिसरों ने आपके कार्यों की प्रशंसा की। भापके शंकरमलजी नामक एक पुत्र हैं। ____ मेहता रणजीतमलजी-आपका जन्म संवत् १९४६ में हुआ। सन् १९०९ में आपने बी. ए. पास किया। इसके पश्चात् मागरे से एल. एल. बी० श्री परीक्षा पास की। सन् १९१८ में भाप बाड़मेर के हाकिम और इसके पश्चात् मालानी डिस्ट्रिक्ट के सुपरिटेण्टेण्ट बनाए गये। सन् १९१९ में मापने दीवानी जज का चार्ज लिया । इसके बाद आप महकमाको सरदारान् के माफीसर नियुक्त हुए। सन् १९२१ में भाप सेशन जज, और सन् १९२० में चीफ कोर्ट के जज बनाये गये । वर्तमान में भाप इसी मोहदे पर काम कर रहे हैं। आपकी इमानदारी, कार्यतत्परता तथा सचाई के विषय में जोधपुर नरेश, जुडिशियल मेम्बर सर रेनाल्ड, कनक हेमिल्टन, कर्नल विग्हम आदि पुरुषों ने समय २ पर आपकी बड़ी तारीफ की है। सीवानदी (पाली) मरडर रेस में भापके इमानदारी और न्यायप्रियता से भरे हुए फैसले को
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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