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________________ लूणिया वर्तमान में इस परिवार में लूनिया जवाहरमलजी, उमरावमलजी, हमीरमलजी तथा चन्दनमलजी विद्यमान है। लूणिया जवाहरमलजी-भापका जन्म संवत १९५३ में हुआ। आप सन् १९१२ से अक्टोबर सन् १९३॥ तक जोधपुर स्टेट की तरफ से अजमेर मेरवाड़ा और म्यावर के वकील रहे। आप अजमेर के प्रतिष्ठित सजन है । सन् १९२६ से आप म्युनिसिपक मेम्बर निर्वाचित हुए । इधर सन् १९३४ में आपने उक्त मेम्बरी के पद से इस्तीफा दे दिया है। अजमेर की मोसवाल समाज में आपका खानदान बड़ा नामी माना जाता है। हाल ही में भाप ओसवाल सम्मेलन के द्वितीय अधिवेशन के स्वागताध्यक्ष हुए थे। आपके पुत्र इन्द्रमलजी ललिया हैदराबाद में सेठ थानमलजी लूणिया के यहाँ दत्तक गये हैं। आपके छोटे भाई उमरावमलजी लूणिया लोको आफिस में सर्विस करते हैं। लूणिमा हमीरमलबी-आपका जन्म संवत् १९५५ में हुआ। आप बड़े शान्त एवं सरल स्वभाव के सजन हैं तथा डायमंड ज्युबिली प्रेस का संचालन उत्तमता से करते हैं। आपके पुत्र गुमानमलजी पढ़ते हैं। चन्दनमलजी लूणिया अजमेर में कोल विजिनेस करते हैं। - लुणिया रामलालजी का खानदान, अजमेर इस लूणिया परिवार में लूणिया शिवजीरामजी फलौदी में निवास करते थे। इनके पश्चात् क्रमशः सादूलसीजी, सावंतसीजी, मेघराजजी और टीकमदासजी फलौदी में निवास करते रहे । कहा जाता है कि एक बार राज की तरफ से फलौदी ग्राम पर कोई दंड पड़ा था वह सब अकेले इस लूणिया परिवार ने चुका दिया । इसलिए जोधपुर दरबार से लूणिया शिवजीरामजी को “नगर सेठ" की पदवी मिली थी। ___ फलौदी से लूणिया टीकमदासजी संवत् १८७५ के लगभग अजमेर आये और इन्होंने लूणिया तिलोकचन्दजी हिम्मतरामजी के साझे में मांडवी बंदर से मोती और दाँत दूसरी जगह भेजने का कारबार आरम्भ किया। संवत् १८९५ के लगभग छोटी वय में इनका अंतकाल हो गया। उनके पुत्र केवलचन्दजी और कस्तूरचन्दजी हुए । केवलचन्दजी लश्कर दराक गये तथा कस्तूरचन्दजी ने अजमेर में संवत १९०५ में गोटे किनारी की दुकान की । इनका शरीरावपान संवत् १९७३ में हुआ। इनके केसरीचन्दजी और फूलचन्दजी नामक पुत्र हुए। लूणिया केसरीचन्दजी ने व्यापार में विशेष तरक्की की । व्यापार के साथ २ आपने अजमेर में मकानात बनवाये तथा बांदा (यू० पी०) में दुकान खोलकर वहाँ दो गाँव खरीद किये । आप पंच पंचायती में मच्छी प्रतिष्ठा रखते थे। आपका शरीरावसान ७० साल की वय में सम्वत् १९८१ में हुआ। आपके पुत्र दीपचन्दजी हुए। २५१
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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