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________________ गोसवाल जाति का इतिहास सम्बन्ध है। आपने सेठ मनीराम मथुरावालों की टोंक, बम्बई आदि फर्मों पर मुनीमात भी की थी । आपने बड़ल में एक मकान तथा अपने पिता के यादगिरी में एक छतरी बनवाई जो आज भी विद्यमान है। आप के जवाहरमलजी व जीतमलजी नामक दो पुत्र हुए। सेठ जवाहरमलजी बड़े होशियार आदमी थे। आप कई सालों तक मुनीमात करते रहे । तदनंतर आप महाराणीजी ( जयपुर ) के कामदार रहे। आपने झाडशाही सिक्के की पैठ जमाने में भी बहुत सहायता की। आपके जोरावरमलजी, चांदमलजी तथा केशरीमलजी नामक तीन पुत्र हैं। सेठ जीतमलजी ने जयपुर में पौहारी तथा कई फर्मों पर मुनीमात की। आपके कार्यों से खुश होकर टोंक में नवाब ने आपको कई पारितोषक दिये थे। आपने केशरीमलजी को अपने नाम पर दत्तक लिया। - सेठ जवाहरमलजी ने जयपुर में दारोगा टकसाल तथा महाराणीजी के यहां कामदारी पर भी काम किया। आपको इस समय स्टेट की ओर से पेंशन मिल रही है। आपने केशरीमलजी के पुत्र गुमानमल जीको अपने नाम पर दत्तक लिया है। आप इस समय जयपुर महकमा खास में मुलाजिम हैं। सेठ चांदमलनी भी दारोगा टकसाल रहे तथा वर्तमान में सेठ मनीरामजी मथुरावालों की कोठी पर मुनीमात का काम करते हैं। आपने केशरीमलजी के पुत्र जतनमलजी को गोद लिया है। आप इस समय बी. ए. ( Final) में पढ़ रहे हैं। सेठ केशरीमलजी ने कितने ही ठिकानों की कामदारी की, तथा मथुरा वाले सेठों की तरफ से रेसीडेंसी के खजांची रहे हैं। आप की कारगुजारी के उपलक्ष्य में कई रेजिडेंटों ने आपको प्रशंसा पत्र दिये हैं। इस समय आप लोड़ों की फर्म पर टोंक में मुनीम हैं। आप पर टोंक के नबाब भी बड़े खुश हैं। आपके गुमानमलजी, जतनमलजी, फतेमलजी, सरदारमलजी, मनोहरमलजी तथा नौरतनमलजी नामक छः पुत्र हैं। इनमें से गुमानमलजी तथा जतनमलजी दत्तक गये हैं । फतहमलजी मेट्रिक में हैं तथा शेष भी पढ़ते हैं। ___ सेठ हजारीमल खूबचन्द लुणावत, नरसिंहपुर इस परिवार के पूर्वज सेठ हजारीमलजी लूणावत मांडपुरा (नागौर) के समीप आचीमा नामक गाँव से लगभग ६० साल पहिले पूना नाशिक आदि स्थानों में होते हुए नरसिंहपुर आये और अनाज कपड़ा आदि का कारधार शुरू किया। आपके हाथों से ही व्यापार को उन्नति प्राप्त हुई। आपके छोटे भाता सेठ खूबचन्दजी, जुहारमलजी, तुलसीरामजी और पृथ्वीराजजी थे । संवत् १९६५ में सेठ हजारीमलजी का स्वर्गवास हो गया। आपके पुत्र सेठ हंसराजजी, हमीरमलजी, टीकारामजी तथा मोतीलालजी विद्यमान है। आप बंधुओं ने हंसराज हमीरमल के नाम से १२ साल पूर्व भुसावल में दुकान खोली। सेठ टीका १११
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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