SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 812
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्रोसवाल जाति का इतिहास - सेठ जेठमकी विलंबान ही स्वर्गवासी हो गये। सेठ शेरमलजी के वंशजों की फर्म मेकर्स शेरमल चौथमल के नाम से शिकांग में चल रही है। सेठ कालूरामजी का जन्म संवत् १९३२ तथा सेठ पाँचीरामजी का जन्म संवत् १९२० में हुमा। सेठ कालूरामजी संवत् १९२५ में शिलांग गये। कहा जाता है कि जब गवर्नमेंट की पलटन शिलांग जा रही थी तब भाप भी उसी पलटन के साथ उस पलटन को रसद का सामान देते हुए शिलांग पहुँचे। वहाँ पर मापने अपनी एक फर्म स्थापित की तथा उस पर दुकानदारो और गवर्मेंट कन्ट्रॉक्टिंग का काम शुरू किया । आपके भाई पाँचीरामजी भी देश से शिलांग आगये और व्यापार करने लगे। भाल दोनों भाई बड़े परिश्रमी एवं व्यापार चतुर थे। आपने अपने व्यापार को बढ़ाने के लिए अपने फर्म की गोहाटी, पटना एवं कलकत्ता में शाखाएं खोली और इन पर चलानी का काम प्रारम्भ किया। इन फों पर मापको बहुत सफलता मिली और मापने हजारों रुपयों की सम्पत्ति उपार्जित की। आपके सुखलालजी नामक एक पुत्र हैं। सेठ पांचीरामजी भी धार्मिक प्रकृति के पुरुष थे । आपका संवत् १९७२ में स्वर्गवास हो गया है। आप भीमसिंहजी नामक पुत्र हैं। बा० सुखलालजी-आपका संवत् १९४२ में जन्म हुआ। आप आज कल फर्म के प्रधान संचालक है। आपके समय में भी इस फर्म की बहुत उन्नति हुई । आप भी अपने पिताजी की भांति व्यवसाय कुशल एवं चतुर व्यक्ति हैं। भापके गिरधारीमलजो, पूनमचन्दजी, माणकच्चन्दजी, चम्पालालजी, सेमरामबी, सोहनलालजी एवं मोहनलालजी नामक सात पुत्र हैं। प्रथम चार पुत्र इस फर्म से अलग हो गये हैं तथा अपना स्वतंत्र व्यापार करते हैं । शेष तीन अभी बालक हैं। बा. भौमसिंहजी-आपभी इस फर्म में पार्टनर है। आप इस फर्म का संचालन बड़ी चोच्छता से कर रहे है। आप शिवदानमलजी एवं बुद्धसिंहमामक दो पुत्र हैं। बड़े व्यापार में योग देते हैं तथा छोटे अभी पढ़ते हैं। यह फर्म इस समय शिलांग में सुखलाल भौंमसिंह के नाम से गवर्मेट न्ट्रेक्टर कॉथमचण्ट एवं मोटर ट्रांसपोर्ट का काम करती है । कलकत्ता और गोहाटी में कालूराम, सुखलाल के नाम से इस पर भादत का काम होता है। कलकत्ता में इस फर्म पर इम्पोर्ट और एक्सपोर्ट का काम मो किया जाता है। यह फर्म पटना में चलानी का काम करती है। बा० गिरधारीमलजी का सं० १९५८ में जन्म हुआ है। आज कल आप अपने ही नाम से गोहाटी में चलानी का काम करते हैं। माग भी मिलनसार मा० पूनमचन्दजी-आपका संवत् १९६० में लगा मिलनसार एवं समवार
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy