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________________ भोसवाल जाति का इतिहास नवयुवक हैं। आप अपने कुछ परम्परा के अनुसार ही अपना सारा प्रबन्ध संचालित करते हैं। आपके पूर्वजों के द्वारा प्रोत्साहित सभी कार्यों ओर संस्थाओं को बराबर आप लोग सहायता दिया करते हैं। आपके यहाँ प्रधान व्यापार बैंकिंग का है। आपकी बहुत बड़ी जमींदारी है। राप बुद्धसिंहजी बहादुर पुराने ढंग के सज्जन थे। आपको 1600 में 'राय बहादुरी' का सम्मान प्राप्त हुआ । भाप बडे सहृदय और उदार सजन थे । मापका व्यवहार स्पष्ट और सादा था। इन्ही विशेषताओं के कारण आपकी बहुत बड़ी प्रतिष्ठा थी। सन् १९०४ में आपने अखिल भारतवर्षीय जैन श्वेताम्बर कान्फ्रेन्स बढ़ौदा के अधिवेशन में सभापति का आसन सुशोमित किया था। आपको सभी आदर की दृष्टि से देखते थे। आप दोनों भाइयों ने जंगीपुर डिस्पेन्सरी और बस्ताको लिए एक मूल्यवान भवन तैयार कराया था। आप ही ने गिरिडिह और जंगीपुर में जैन मन्दिर तथा पावापुरी (बिहार) आबूपर्वत, पारसनाथ पहाड़ी, बम्बई, रानी (मारवाद) और अजीमगंज में धर्मशालाएँ बनवाई थीं। आप लोगों ने अजीमगंज में कन्या पाठशाला और अजीमगंज, बनारस, पालीताना और धोराजी में जैन पाठशालायें चलाई। और भी कई धार्मिक कार्यों में आपने बड़ी सहायता दो। जैन समाज में इस परिवार को बहुत प्रतिष्ठा है। ___ इस परिवार की कई स्थानों पर बैंकिंग का व्यापार करने के लिए फमें खुली हुई है। इसके भतिरिक्त संथाल, परगना दुमका भादि जिलों में आपकी जमींदारी है। रायबहादुर विशनचन्दजी दुधोरिया का खानदान, अजीमगंज इस प्रसिद्ध खानदान का पूर्व परिचय हम पिछले पृष्टों में दे चुके हैं। इस खानदान का इतिहास श्री हरकचन्दजी, दुधोरिया के द्वितीय पुत्र राव विशनसिंह जी बहादुर से प्रारंभ होता है । आप का विशेष परिचय आपके ज्येष्ठ भ्राता के साथ पहिले दे चुके हैं। आप बड़े कार्य कुशल मिलनसार तथा योग्य सज्जन थे। आपका देहावसान सन् १८९४ ई. में हुआ। उस समय आपके पुत्र बाबू विजय. सिंहजी की आयु केवल 18 वर्ष की थी। स्टेट का सारा प्रबन्ध भार आपके चचा राय बहादुर बाबू बुद्धसिंह जी के हाथ में रहा । सन् १९०० ईसवी में मापने अपनी स्टेट का सारा भार अपने हाथ में लिया । भाप भारम्भ से ही होनहार थे। आपने अपने काय्यों से खूब यश सम्पादित किया। सरकार ने आपको सन् १९०३ में अजीमगंज के म्युनिसिपल कमिश्नर मनोनीत किया। सन् १९०१ ई.की अ. भा. जैन कान्फरेन्स के बदौदा वाले अधिवेशन में आपके चचा रायबहादुर बुद्धसिंहजी प्रमुख और राजा सा० उप सभापति रहे । सन् १९०६ में भाप भजीमगंज म्युनिसिपैलिटी के चेयरमैन निर्वाचित हुए, सन् १९०८
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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