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________________ ला. ज्ञानचन्दजी का जन्म १९६३ में हुमा था। भाप केवल 10 वर्ष की उम्र में अपने परि. बार वालों को दुखित कर स्वर्गीय हो गये। ला. प्रेमचन्दजी का जन्म संवत् १९६७ में हुआ | आप भी इस समय दुकान के कारोबार में भाग लेते हैं। लाला निहालचन्द लखूमल नाहर, सियालकोट इस खानदान का मूल निवासस्थान होशियारपुर का था। वहाँ से इस खानदान वाले करीब २५०-३०० वर्ष पूर्व सियालकोट में आकर बसे । तभी से आप लोग सियालकोट में ही निवास करते हैं। आप लोग श्री जैन श्वेताम्बर स्थानकवासी आम्नाय को माननेवाले सज्जन हैं। इस खानदान में लाला लालशाहजी मशहूर व्यक्ति हुए। आपके निहालचन्दजी नामक एक पुत्र हुए। आप सराफी का व्यापार करते थे। आप बड़े धर्मात्मा तथा बिरादरी में बड़े इज्जतदार व्यक्ति थे। आपके लाला लद्दूमलजी, पक्षालालजी तथा दीवानचन्दजी नामक तीन पुत्र हुए। लाला लवूमलजी का संवत् १९४० में जन्म हुआ। भाप बड़े धर्मध्यानी तथा व्यापारमाल सज्जन हैं। आपके नगीनालालजी, जंगीलालजी, हंसराजजी, कस्तूरीलालजी तथा शादीलालजी नामक पाँच पुत्र हुए। इनमें लाला नगीनालालजी के मदनलालजी एवम् सुभाषचन्दजी नामक दो पुत्र हैं । लाला पन्नालालजी का जन्म संवत् १९४२ में हुमा। आप बड़े धार्मिक पुरुष हैं। भापके पिशोरीलालजी, लाहोरीलालजी, राजकुमारजी, चिमनलालजी, चैनलालजी तथा तिलकचन्दजी नामक छः पुत्र हैं। लाला पिशोरीलालजी के सुदर्शनकुमारजी तथा प्रेमचन्दजी, लाहोरीकारूजी के जगदीशकुमारजी, पुरानशीलजी तथा रेशमचन्दजी नामक पुत्र हैं। पिशोरीलालजी तथा साहोरीलालजी इस समय व्यापार में भाग लेते हैं। ____ लाला दीवानचन्दजी का जन्म सं० १९४५ में हुआ। आप भी बड़े मिलनसार पुरुष है। भापके रोशनलालजी, हरवंशलालजी तथा तरसेपचन्दजी नामक पुत्र है। इनमें से रोशनलालजी म्यापार में भाग लेते हैं। __यह खानदान यहाँ की ओसवाल समाज में प्रतिष्ठित है। इसकी यहाँ पर ५ सराफी की दुकानें तथा एक पीतक के वर्तन की दुकान भी है। आप लोगों का एक बहुत बड़ा परिवार है और इस समय भाप सब लोग बड़े प्रेम से सम्मिलित रूप से ही व्यवसाय करते तथा एकही साथ रहते हैं।
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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