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________________ नाहर w जवाहरलालजी, मोतीलालजी तथा माणकलालजी नामक तीन पुत्र हुए। आप इस समय रामपुरा में अपने काका बसंतीलालजी के साथ सम्मिलित रूप से व्याज, सोने चाँदी तथा कपड़े का व्यवसाय करते हैं । बसंतीलालजी नाहर — आप बड़े देशप्रेमी, शिक्षित तथा सुधरे हुए विचारों के सज्जन हैं । रामपुरा की ओसवाल समाज में आपका काफी सम्मान है। परोपकार तथा सार्वजनिक कार्यों में आप सहायता देते रहते हैं । सेठ भींवराज चुन्नीलाल नाहर का खानदान, न्यायडोंगरी ( नाशिक ) इस परिवार के पूर्वज सेठ प्रयागजी नाहर के पुत्र सेठ कस्तूरचन्दजी नाहर लगभग ९०-१०० साल पूर्व अपने मूल निवास स्थान बाजूली ( मेड़ते के पास ) से व्यापार के निमित्त रोझाना ( मालेगाँव तालुका) में आये । यहाँ से आपका परिवार संवत् १९३८ के लगभग न्यायडोंगरी भाया । आपके भींवराजजी, कुन्दनमलजी और छगनीरामजी नामक ३ पुत्र हुए। संवत् १९५० में इन भाइयों का काम काज अलग २ हो गया । संवत् १९५२ में सेठ कस्तूरचन्दजी स्वर्गवासी हुए। आपका परिवार स्थानकवासी आम्नाय को मानने वाला है । सेंठ भींवराजजी का परिवार - आपके चुनीलालजी, लच्छीरामजी और लालचन्दजी नामक ३ पुत्र हुए । सेठ चुन्नीलालजी के हाथों से इस खानदान के व्यापार और सम्मान में विशेष तरक्की मिली। आप यहाँ के और आसपास के व्यापारिक समाज में अच्छी इज्जत रखते हैं। आपका जन्म संवत् १९३८ में हुआ। आपके यहाँ चुन्नीलाल भींवराज के नाम से रुई और गले का बड़े प्रमाण में व्यापार और भारत का काम होता है । आपके छोटे भाई लच्छीरामजी आपके साथ व्यापार में भाग लेते हैं। इनके पुत्र कन्हैयालालजी और घेवरचन्दजी हैं । सेठ कुन्दनमलजी का परिवार - आपने अपने व्यापार की उन्नति में विशेष भाग लिया । राज दरबार तथा आस पास की ओसवाल समाज में आप वजनदार पुरुष थे । गाँव के लोग आपको आदर की दृष्टि से देखते थे । संवत् १९७३ में आप स्वर्गवासी हुए। आपके पुत्र गुलाबचन्दजी ने दुकान के काम को व्यवस्थित रूप से चलाया । आपका स्वर्गवास १९८३ में होगया है । आपके नाम पर बंशीलालजी बढ़ोनी ( कुचेरा ) से दत्तक आये हैं । आप समझदार तथा होशियार सज्जन हैं, और परिवार के साथ मेल से रहते हैं। आपके यहाँ गुलाबचन्द कुन्दनमल के नाम से साहुकारी व्यवहार होता है । सेठ छगनीरामजी का परिवार - आप बड़े योग्य पुरुष थे। संवत् १९६० में आपका स्वर्गबास हुआ। आपके पुत्र लखमीचन्दजी, पूनमचन्दजी के बालचन्दजी तथा दीपचन्दजी मौजूद हैं। आप छगनीराम कस्तूर वन्द के नाम से व्यापार करते हैं। आपके पुत्र इन्द्रचन्दजी तथा मोहनलालजी हैं । ३०९
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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