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________________ श्रीसवाल जाति का इतिहास भांदकजी गुरुकुरु में छात्रों को एकचित करने एवं उसकी व्यवस्था जमाने में आपने अकथ परिश्रम किया । इस कार्य के लिए कई मास तक आप वहाँ ठहरे। आप शिक्षाप्रेमी तथा सुधरे विचारों के सज्जन हैं । आप होमियोपैथिक चारिटेबल डिस्पेंसरी तथा महाराष्ट्र एस० स्वस्तिक स्टोर्स का संचालन करते हैं। आप हिंगनघाट की जैन युवक पार्टी के शिक्षित और उत्साही मेम्बर हैं । सौभागमल गुलजारीमल सुराणा, बुहारनपुर इस परिवार के व्यक्ति सेठ सौभागमलजी सुराणा नागौर से लगभग ७० साल पहिले बुहारनपुर आये, आरम्भ में आपने नौकरी की और बाद में अपनी दुकान खोली, आपके पुत्र गुलजारीमलजी और गुमानीमलजी के हाथों से धंधे को उन्नति मिली । गुलजारीमलजी संवत् १९९० के भादवा मास में स्वर्गवासी हुए। गुमानीमलजी मौजूद हैं। गुलजारीमलजी के पुत्र जोशव मलजी तथा गुमानीमलजी के पुत्र रतनमलजी हैं। सेठ जोरावरमलजी व्यापार संचालन में सहयोग लेते हैं। (सी० पी०) में भारत गला तथा लेनदेन का व्यापार होता है तथा यहाँ के मानी जाती है। इस दुकान पर बुहारनपुर व्यापारिक समाज में प्रतिष्ठित कन्हैयालालजी सोहनलालजी सुरामा, उदयपुर आप दोनों भ्राता उदयपुर के निवासी हैं तथा दोनों ही बी० एस० सी० एल० एल० बी० की परीक्षा में सफलता पूर्वक उत्तीर्ण हुए हैं। आप बड़े समाज सुधारक युवक हैं। आप दोनों भाइयों ने पड़दे की कुप्रथा को तोड़ कर भोसवाल नवयुवको के सम्मख एक आदर्श उपस्थित किया है। सुराणा सोहनलालजी उदयपुर में गायब हाकिम है। १९९
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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