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________________ भोपाल जाति का इतिहास सेठ नरसिंहदासजी के यहाँ मगनमलजी दत्तक आये । आपका जन्म सम्वत् १९३७ में हुआ । शुरू में सन् १९१३ में आपने रियासत के सेटलमेंट में काम किया । इस काम को आपने बहुत सफलतापूर्वक किया जिससे खुश हो कर महाराजा साहब ने आपको सिरोपाव बख्शा। उसके बाद आप पाटन में तहसीलदार बनाये गये वहाँ से आप पचपहाड़ के तहसीलदार बनाये गये । इस काम को आपने बड़ी होशियारी और लोक प्रियता के साथ सम्पन्न किया। कुछ समय तक आपने झालरापाटन आफिसर का काम भी किया। उसके पश्चात् सन् १९३० में आपकी पेन्शन हो गई । 1 जिनके नाम सौभागमलजी, समरथमलजी, और प्रतापसिंहजी हैं। में इन्चार्ज रेव्हेन्यू आपके तीन पुत्र सौभागमलजी - - आपका जन्म संवत् १९५१ में हुआ । आपने बी० ए० पास करके एम० ए० प्रीव्हियस पास किया । वहाँ से आप हाऊस मास्टर होकर राजकुमार कॉलेज रायपुर (सी० पी०) में गये । वहाँ से फिर आप अपने पिताजी के स्थान पर पचपहाड़ के तहसीलदार बनाये गये । उसके पश्चात् भाप महाराजा के साथ अक्टूबर सन् १९३० में विलायत चले गये । फरवरी १६३१ में वापस आकर रियासत में हाउस कन्ट्रोलर नियुक्त हुए। उसके पश्चात् भाप मिलीटरी सेक्रेटरी बनाये गए । कुछ समय तक आप नेट सेक्रेटरी भी रहे। इस समय आप महाराजा के खास कर्मचारियों में हैं । 3 महाराजा समरथसिंहजी -- आपका जन्म सम्वत् १९७१ में हुआ। आपने पूना में सन् १९३१ में बी० एस० सी० पास किया और इस समय सिविल इञ्जिनियरिंग की ट्रेनिंग के लिए बिलायत गये हैं। इनसे छोटे भाई प्रतापसिंहजी मेट्रिक में पढ़ते हैं। सुराणा पनराजजी का परिवार, सिरोही इस परिवार के पूर्वज सुराणा सतीदासजी सोजत में निवास करते थे । आपके सम्बन्ध में सोजत में सुरागों के वास में एक शिलालेख खुदा हुआ है । उस से ज्ञात होता है कि "ये सम्वत् १७७२ के वैशाख मास में अचानक १०-१५ चोरों के हमले से मारे गये और उनकी धर्म पत्नी उनके साथ सती हुई ।" इनके बाद क्रमशः मलूकचन्दजी तथा भानीदासजी हुए। सुराणा भानीदारुजी के निहालचन्दजी मोतीरामजी तथा खींवराजजी नामक ३ पुत्र हुए। सुराणा मलूकचंदजी सोजत के कोतवाल थे। और निहालचंदजी बोहरगत का व्यापार करते थे । निहालचन्दजी के धीरजमलजी आदि ५ पुत्र हुए। सुराणा धीरजमलजी की राज्य के अधिकारियों से अनबन हो गई, इसलिये इनकी सब सम्पत्ति लुटवादी गई । संवत् १९१६ में आप स्वर्गवासी हुए। उस समय आपके पुत्र नथमलजी, जसराजजी, छोगमलजी और नवलमलजी छोटे थे । 1 सुराणा छोगमलजी - आरम्भ मे आप एरनपुरा छावनी में हुई हुए तथा शीघ्रातिशीघ्र उन्नति कर आप' २८६
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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