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________________ आसवाल जाति का इतिहास हो गया था तब गवर्नमेंट में पदे व्यवसाय का कंट्रोल करने के लिये एक काटन अडवाईजरी कमेटी (Cotton Advisory Committee) बनाई थी। जिसमें सात मेम्बर थे उनमें आप भी एक थे । भापका जन्म संवत् १९२१ को हुआ था। आपने दो विवाह किये। प्रथम गृहणी से आपको सिर्फ एक पुत्र हुआ और दूसरी से चार पुत्र और एक कन्या। आपके सिर्फ तीन पुत्र अभी वर्तमान में हैं। आपके कनिष्ट पुत्र कुं० फूलचन्दजी की मृत्यु का आपके जीवन पर बहुत असर पड़ा। इसीसे सम्बत् १९७५ में आपका स्वर्गवास हो गया। . स्व. सेठ रायचदजी-आप सेठ वृद्धिचन्दजी के द्वितीय पुत्र थे। आपका स्वभाव मिलनसार और सीधा सादा था। आपकी रुचि धार्मिक विषयों में अधिक थी। आप ही के अथक परिश्रम से कलकत्ता में श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी विद्यालय की स्थापना हुई और उसके स्थाई कोष के लिये मापने बहुत धन संग्रह किया। आप उसकी कार्यकारिणी समिति के सभापति भी रहे। आपका जन्म संवत् १९२८ को हुमा था। मापने भी दो विवाह किये । आपको पहली पत्नी से एक पुत्र दो कन्या हुई और दूसरी से • पुत्र और एक कन्या, जिनमें से • पुत्र और एक कन्या, जिनमें से ४ पुत्र और एक पुत्र अब भी वर्तमान हैं। आपका स्वर्गवास संवत् १९८९ को हुआ। सेठ तोलारामजी, ऋद्धकरणजी और रायचन्दजी तीनों भाई बड़े उदार हो गये हैं जिन्होंने श्री जैन श्तेताम्बर तेरापंथी विद्यालय कलकत्ता को २०००१), श्री मारवाड़ी होस्पिटक कलकत्ता को ५००१), श्री चुरू पीजरा पोल को ५०८१) और श्री हिन्दू विश्वविद्यालय काशी को १५.१) इत्यादि अनेक संस्थाओं को हजारों रुपये दान दिये थे। सेठ छोटुलालजी-आप सेठ वृद्धिचंदजी के कनिष्ट पुत्र हैं। आपका जन्म सम्वत् १९३१ को हुवा। आप हाथ के बड़े दक्ष हैं। बहुतसी चीजें अपने हाथ से ही बना डालते हैं। जो कारीगरों से भी बनना मुश्किल है। भापके तीन पुत्र और दो पुत्री अभी वर्तमान हैं। .. सेठ मोतीलालजी-बाप सेल गुलाबचन्दजी के एकमात्र पुत्र हैं । आपका जन्म संवत् १९३२ को हुमा। आप बड़े साहसी और व्यापार कुशल हैं । सेठ जुहारमलजी के इकलौते पुत्र सरदारमलजी के स्वर्गवासी होने के बाद सेठ मोतीलालजी, जुहारमलजी के नाम पर दत्तक लिये गये । आपके पाँच पुत्र हैं। जिनमें से चौथे पुत्र श्री कुंवर जीवनमलजी को सेठ गुलाबचंदजी के और कोई पुत्र न होने से गोद के दिवा है, और कनिष्ट पुत्र कुंवर छन्नमलजी ने इस संसार को असार जान गृह त्याग दिया है, और जैन पवेताम्बर तेरापंथी सम्प्रदाय में साधु हो गये हैं। कुंवर सुजानम लजी-आप सेठ उदयचन्दजी के ज्येष्ठ पुत्र हैं। आप बड़े उद्योगी और व्यापार अपार है। आपका जन्म संवत् १९३० में हुआ था। आपके ६ पुत्र और एक कन्या हुई। जिनमें बड़े पुत्र २००
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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