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________________ उड्डा शाह सादूलसिंहजी का परिवार, जोधपुर ( मनोहरमलजी सिरेमलजी, जोधपुर ) शाह खेतसीजी के चौथे पुत्र करमसीजी के सादूलसिंहजी, सांवतस्रीजी, रायसिंहजी, हीरासिंहजी सुलतानचन्दजी और मुलतानचन्दजी नामक छः पुत्र हुए। इनमें शाह सादूलसिंहजी के कमलसीजी और उस समय इस परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी थी । जोधपुर और जैसलमेर रियासतों में आपका बड़ा सम्मान था । । राज्य से सालमसीजी नामक दो पुत्र हुए आपका काफी लेन-देन रहता था। शाह कमल सीजी - शाह कमलसीजी के नैनसीजी और ठाकुरसीजी नामक दो पुत्र हुए। इनमें नैनसीजी के कोई सन्तान न होने से इनके नाम पर डठ्ठा जालिमसिंहजी के छोटे पुत्र हरकमलजी दत्तक आये । शाह हरकमलजी ओसवाल समाज में सर्व प्रथम अंग्रेजी के ज्ञाता थे । आप जोधपुर स्टेट में भिन्न २ पदों पर सफलता पूर्वक कार्य्यं करते रहे । आपका स्वर्गवास संवत् १९४२ में हुआ। आपके मनोहर रूजी, जसराजजी और लाभमलबी नामक तीन पुत्र हुए । आपका शिक्षण मैट्रिक तक के सुपरिन्टेण्डेण्ट का काम ढड्ढा मनोहरमलजी — आपका जन्म संवत् १९२४ में हुआ। हुआ | आपने मेड़ते में सायर दरोगाई और महकमाखास के हिन्दी विभाग बढ़ी योग्यता से किया । सन् १९२७ में आप सर्विस से रिटायर हो गये । इस समय आप जोधपुर में आनरेरी मजिस्ट्रेट हैं । जातीय सेवा से प्रेरित होकर आपने सन् १९३० में ओसवाल कुटुम्ब सहायक द्रव्यनिधि का स्थापन किया । सन् १८९८ में आप श्रीसंघ सभा के सेक्रेटरी बनाए गये । इस सभा के द्वारा आपने काफी समाज सेवा की। जोधपुर की इन्स्युरेन्स कम्पनियों के स्थापन में भी आपका बड़ा हाथ है। आपकी सार्वजनिक स्पिरीट बहुत प्रशंसनीय है। आपके पुत्र माधौसिंहजी इस समय पोलिस में सब-इन्स्पेक्टर हैं । आपके भ्राता डढा जसराजजी का जन्म संवत् १९३३ में हुआ। आप ठाकुरसीजी के पुत्र जीवनसीजी के नाम पर दत्तक गये । शाह सालमसीजी - शाह सालमसीजी के चार पुत्र हुए, जिनके नाम क्रम से जालिमसिंहजी, बदनमलजी, मुरलीधरजी और कानमलजी थे । संवत् १९०० के करीब शाह जालिमसिंहजी जोधपुर आये । आप बड़ी तीव्र बुद्धि के व्यक्ति थे । संवत् १९१३ में आपका स्वर्गवास हुआ । आपके रतनमलजी और हरकमलजी नामक दो पुत्र हुए। इनमें से हरकमलजी, नैनसीजी के नाम पर दत्तक चले गये । शाह रतनमलजी का संवत् १८९२ में जन्म हुआ । आप बड़े व्यापार कुशल, प्रवीण और साहित्य प्रेमी व्यक्ति थे । रियासत के दीवान, मुत्सुद्दी भी कई गम्भीर मामलों में आपकी सलाह लिया करते थे । संवत् १९३२ में आपका स्वर्गवास हुआ । आपके सिरेमलजी नामक एक पुत्र हुए । ७५ ૨૦૧
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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