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________________ सवाल जाति का इतिहास लिये जोधपुर का शासन भार वे अपने परम विश्वसनीय प्रधान मुणोत नेणसी के सुपुर्द कर निश्चिंत रहते थे। महाराजा ने मुणोत नैणसी के राज्य को प्रायः सब अधिकार दे रक्खे थे । यहाँ तक कि उन्हें जागीर तक देने का अधिकार दे रक्खा था। हाँ, समय २ पर महाराजा साहब इनके नाम पर सूचनाएँ अवश्य भेज दिया करते थे जैसा कि महाराजा जसवंतसिंहजी के निम्नलिखित पत्र से प्रकट होता है । "सिध श्री महाराजधिराज महाराजाजी श्री जसवंतसिंहजी वचनानु मु० नेनसी दिये सुप्रसाद बांचिजो । अठारा समाचार भला छे । थांहरो देजो । लोक, महाजन, रेत (प्रजा) री दिलासा किजो । कोई 'किण ही सो जोर ज्यादती करण न पावे। कांठोकोरारो जापतो कीजो । कँवर रे डीलरा पान पाणीरा जतन करावजी " । "अरज दास थांहरी जोधपुर फिर आई । हकीकत मालुम हुई । थे रुगनाथ लखमी दासोत मुँ पटो दिये गाँव ३ सुभलो कीनो” । उक्त पत्र मारवाड़ी भाषा में है। इसमें महाराजा जसवंतसिंहजी ने अपने दीवान मुणोत नेणसी को लिखा है: -- "लोक, व्यापारी और प्रजा को तसल्ली देते रहना । कोई किसी से जोर ज्यादती न करने पावे । सरहद का प्रबन्ध रखना । राजकुमार के खाने पीने की ठीक व्यवस्था रखना । तुमने राठौड़ रूगनाथ लक्ष्मीदासोत को जो पटा दिया सो ठीक किया" उल्लेखनीय कार्य मुणोत नेणसीजी मे दीवान पद पर अधिकारारूद होते ही मारवाड़ में शान्ति स्थापन कार्य आरंभ किया । बहुत सी बगावतों को दबाकर उन्हों ने प्रजा में अमन और चैन पैदा किया। प्रजा के सुख दुःख की बातें वे बड़े गौर से सुनने लगे। उन्होंने महाराजा जसवंतसिंहजी से निवेदन कर प्रजा पर लगी हुई कई लागे की माफ करवाया । संवत् १७१८ के पौष मास में मेड़ता परगने के कोई दस गाँवों के जाट लोगलागें और बेगार का विरोध करने को आपकी सेवा में उपस्थित हुए । उन्होंने इन्हें आँसू भरी आँखों से अपने दुखों की कहानी कही । सहृदय दीवान मुणोत नेणसी ने उनकी लागे माफ कर दीं और तत्काल ही मेड़ते के हाकिम भण्डारी राजसी को इस संबन्ध का हुक्म भेज दिया। इस प्रकार के उनकी प्रजा प्रियता के इतिहास में और भी उदाहरण मिलते हैं। उन्होंने अपनी ख्यात में इन बातों का विस्तृत विवरण लिखा है । ४६
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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