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________________ श्रीसवाल जाति का इतिहास सेठ सुजानमलजी इस परिवार में बड़े प्रालब्धी व्यक्ति माने जाते हैं। उनके समय तक फर्म बहुत अच्छी अवस्था में संचालित होती रही। सेठ सुजानमलजी के चार पुत्र हुए जिनके नाम क्रमशः सेठ वाघमलजी, हजारीमलजी, मोतीलालजी और केसरीचन्दजी था । उपरोक्त फर्म सेठ हजारीमलजी के परिवार की है। सेठ हजारीमलजी के उदयमलजी नामक एक पुत्र थे । आपके इस समय जतनमलजी नामक एक पुत्र हैं। सेठ जतनमलजी, बड़े होशियार सज्जन और मिलनसार व्यक्ति हैं । आजकल आपका व्यापार बिहार प्रान्त में होता है। आपकी फर्म का हेड आफिस खगडिया (मुंगेर) में है तथा शाखाएँ मोकामा (पटना) और फूलवारिया (मुंगेर) में है । सब फर्मों पर मेसर्स जतनमल मानमल कोठारी के नाम से गल्ला, तिलहन और बैकिंग का व्यापार होता है। आपका मूळ निवास स्थान बीकानेर ही है । आप मंदिर मार्गी सम्प्रदाय के समान हैं। आपका बीकानेर के स्व० सेठ चाँदमलजी डड्डा पर पूरा २ विश्वास था । आपका उनका पूरा २ दोस्ताना था। इसके पूर्व भी आपके पूर्वजों और उनके पूर्वजों का काफी मेल था । एकबार ज | आप पर आर्थिक संकट आया था और आपकी फर्म खतरे में पड़ गई थी, उस समय सेठ चाँदमलजी ने सहायता कर आपकी फर्म की रक्षा की थी। इसके बदले में आपने भी उनकी वृद्धावस्था में काफी सेवा की, जिसके लिये सेठ चाँदमलजी आपको सुन्दर सार्टीफिकेट प्रदान कर गये हैं। आपके जतनमलजी नामक एक पुत्र हैं। आप भी उत्साही नवयुवक हैं। १२८
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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