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________________ कोठारी चोपड़ा 'बापका विशेष परिचय हम इसी प्रन्थ के राजनैतिक और सैनिक महत्व नामक अध्याय के पृष्ठ १४-१५ कोठारी गंगारामजी के स्वर्गवासी हो जाने पर उनके पुत्र कोठारी मगनीरामजी भपने पिता के स्थान पर काम करते रहे । आपने अपनी जागीर के गांवों और बगीचे के लिए स्वर्गीय महाराजा मल्हारराव होलकर (द्वितीय) से पुनः सनद प्राप्त की। मगनीरामजी को भी उनके पिता के ही समान इजत भौर हक प्राप्त थे। कोठारी मगनीराम जी के पश्चात् उनके पुत्र कोठारी रतनचन्दजी हुए। इनके समय में रामपुरा जिले का अधिकार इनको और कोठारी भवानीरामजी के पुत्र कोठारी शिवचंदजी को आधा २ बॉट दिया गया। सन् १८४५ तक इस जिले पर इनका अधिकार रहा। भाप रामपुरा के कुमेदान के पद पर भी रहे। उस समय भाप रामपुरा के एक प्रभावशाली कारगुजार थे। आप बड़े साहसी तथा स्वामिभक सजन थे। आपने अपने प्रांत में बदमाशों तथा लुटेरों को उचित दण्ड देकर शांति स्थापित की थी। इसी प्रकार संवत् १९१५ के गदर के समय इन्दौर की बागी फौज को मापने अपने भाधीन करने में बड़े साहस के काम किये थे। एक समय की बात है कि इन्दौर की फौज के कुछ लोगों ने फणसे को मारने का प्रयत्न किया, उस समय आपने नंगी तलवार से कुछ समय तक युद्ध कर सारी फौज को भगा दिया था। तत्कालीन पोलिटिकल एजंट सेंडिस तथा नार्थ ब्रुक ने आपको कई महत्व के काम सौंपे थे। सन् १८४४ में मालाहेड़े वाले महाराजा फौजसिंहजी के जागीरी के झगड़े में व रामपुरा तथा संजीव (जावरास्टेट) के सरहदी के झगड़े में उक्त पोलिटिकल एजण्ट ने आपको भेजा था। आपने इन्हें बड़ी योग्यता से निपटाया। इसके बाद भापके उपर सरकारी कर्जा अधिक बढ़ जाने के कारण भापकी जागीरी के धोनों गाँव खालसे कर लिये गये। तब आप सं. १९१० में मारवाद के गये। वहाँ जोधपुर दरबार की भोर से आपको पालकी, नगारा, निशान छड़ी आदि का सम्मान प्रास हुमा। माप संवत् १९२५ में मारवाद में ही स्वर्गवासी हुए । आपके उदेचन्दजी, फूलचन्दजी, गुलाबचंदजी तथा मूलचन्दजी नामक चार पुत्र हुए। कोठारी उदेचन्दजी सर्व प्रथम जावरा के अधिकारी हुए। तदनंतर भाप महित्पुर फौज में तथा लदाई बन्द होने पर आप इन्दौर मुनाफे के खजाने पर नियुक्त किये गये। भाप भाजीवन इसी पद पर काम करते रहे । आप और फूलचन्दजी ग्यारह दिन के अन्तर से साथ १ स्वर्गवासी हुए। भाप दोनों भाइयों की मृत्यु के पश्चात् आपके शेष दोनों भाई पहले मानकरी और फिर इन्दौर मरेषा यशवंतराव होकलर और युवराज शिवाजीराव होलकर के प्राइवेट सेक्रेटरी बनाये गये। तदनंतर कोठारी गुलाबचंदजी क्रमशः मुनाफा खजांची, कारखानेदार, हुजूर खजांची, कौंसिल के मेम्बर मादि २ कामों पर तथा कोठारी २२३.
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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