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________________ ओसवाल जाति का इतिहास बापना परतापचन्दजी का खानदान सेठ गुमानचन्दजी के पाँचवे पुत्र सेठ परतापचन्दजी बापना थे। आपके परिवार वाले इस समय रामपुरा और सन्धारा में रहते हैं। आपके परिचय और रुक्के परवानों के लिए हम आपके वंशजों के पास रामपुरा गये थे मगर दैवयोग से उस समय उनका मिलना न हो सका । इसलिए इस शाखा का पूरा इतिहास हमें प्राप्त न हो सका । बाना परतापचन्दजी के पुत्र बापना हिम्मतरामजी बड़े वैभवशाली और प्रतापी पुरुष हुए। जैसलमेर रियासत में आपका बड़ा प्रभाव था । आपके द्वारा किये हुए धार्मिक कार्य्यं आज भी आपकी अमर कीर्तिको घोषित कर रहे हैं। आपके द्वारा बनाए हुए अमर सागर वाले मन्दिर का परिचय हम ऊपर दे चुके हैं। आपको जैसलमेर रियासत से जरुवां नामक गांव जागीर में मिला था। जैसलमेर दरबार की आपने अपने यहाँ पधरावणी की थी । सेठ हिम्मतरामजी के जीवनमलजी, भलबदासजी, चिंतामणदासजी, और भगवानदासजी नामक चार पुत्र हुए। सेठ चिंतामणदासजी के पुत्र कन्हैयालालजी और धनपतलालजी इस समय सन्धार में निवास करते हैं । बापना हिम्मतरामजी के अतिरिक्त सेठ परतापचन्दजी के जेठमलजी, नथमलजी सागरमलजी और उम्मेदमलजी नामक चार पुत्र हुए। इनमें से सेठ नथमलजी के पुत्र सेठ केशरीमलजी हुए । आप रामपुरा में निवास करते थे । आपके लूणकरणजी और खेमकरणजी नामक दो पुत्र हुए। इनमें से खेमकरणजी इस समय विद्यमान हैं । रामपुरे में आपकी हवेली बनी हुई है। सेठ सागरमलजी के बोधमलजी और संगीदासजी नामक दो पुत्र हुए । राय साहब कृष्णलालजी बापना, बी० ए० - जोधपुर इस खानदान के पूर्वज लगभग १५० | २०० वर्ष पूर्व बढ़लू से जोधपुर आकर आबाद हुए । इस परिवार में मेहता कालूरामजी बापना बड़े प्रतापी व्यक्ति हुए । मेहता कालूरामजी बापना — आप जोधपुर की जनता में प्रतिष्ठित व्यक्ति थे । जोधपुर शहर की जनता आपको काका साहब के नाम से व्यवहृत करती थी। जब जोधपुर के फौज बख्शी (कमांडर इन चीफ) सिंघवी फोजराजजी का सम्बत १९१२ की आषाढ़ बदी ३ को स्वर्गवास होगया, और समका पद उनके पुत्र सिंघवी देवराजजी के नाम पर हुआ, उस समय सिंघवीजी की ओर से मेहता विजयमलजी मुहणोत तथा ܙܕ
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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