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________________ वेद मेहता समीरमलजी का परिवार चला तथा शेष ठाकुरमलजी और जेठमलजी निसंतान गुजरे। सेठ बहादुरमलजी का सम्बत १९८७ में स्वर्गवास हुआ। आपके नथमलजी, बुधमलजी, गुलाबचन्दजी, चांदमलजी, केशरीचन्दजी, मोतीलालजी और माणकचन्दजी नामक • पुत्र हुए, इनमें बुधमलजी, गुलाबचन्दजी, केशरीचन्दजी और मोतीलालजी विद्यमान हैं तथा शेष ३ भ्राता स्वर्गवासी होगये । आप सब भाइयों का व्यापार संवत् १९८७ से अलग अलग होगया है। ... वेद मेहता बुधमलजी ने मेट्रिक तक अध्ययन किया है, आपने कपदे व सराफी के व्यापार में अच्छी उन्नति की। आपके छोटे भाई गुलाबचन्दजी ने सन् १९१९ में बी०ए०, बी० कॉम की परीक्षा पास की । कुछ समय तक हाई स्कूल में सर्विस करने के बाद अब आप कपड़े का व्यापार करते हैं । आपको नागपुर कवि सम्मेलन में तुकबंदी के लिये पुरस्कार मिला था। सन् १९१९ से २४ तक आप मारवादी सेवा संघ के सभापति रहे । सी० पी० बरार की ओसवाल सभा के स्थापकों में भी आपका नाम है । लेख तथा पुस्तिकाएं लिखने की ओर भी आपकी रुचि है। मेहता समीरमलजी विद्यमान है । आपके पुत्र इन्द्रचन्दजी, ताराचन्दजी,चेनकरणजी, प्रेमकरणजी, पूनमचन्दजी और सूरजमलजी हैं। इनके यहाँ इन्द्रचन्दजी ताराचन्द तथा प्रेमकरण चैनकरण के नाम से कपड़ा, होयजरी और किराने का काम होता है। इन्द्रचन्दजी तथा ताराचन्दजी. नवीन विचारों के युवक हैं। लाला कल्याणदास कपूरचन्द वेद मेहता, आगरा यह परिवार लगभग १५० साल पूर्व आगरा में आया। इस कुटुम्ब में लाला बसन्तरायजी हुए, आपके पुत्र कल्याणदासजी ने लगभग १०० साल पहिले आगरे में उपरोक्त नाम से फर्म स्थापित की, उस समय से अब तक यह परिवार सम्मिलित रूप से व्यवसाय कर रहा है । लाला कल्याणदासजी के कपूरचन्दजी, कुन्दनमलजी और गदोमलजी नामक पुत्र हुए। __ लाला कपूरचन्दजी इस परिवार में नामी व्यक्ति हुए, आपने बहुत सी रियासतों से जवाहरात तथा गोटे का व्यापारिक सम्बन्ध स्थापित किया । आपके पुत्र मोतीलालजी ने व्यवसाय की अच्छी उन्नति की। सम्बत् १९७९ में आप स्वर्गवासी हुए । भापने अपने भतीजे पदमचन्दजी को दचक लिया, आप योग्य व्यक्ति हैं। लाला कुन्दनमलजी धर्मात्मा व्यक्ति थे, सम्बत् १९८० में आप स्वर्गवासी हुए। आपके पुत्र लाला चुनीलालजी का 1 साल की आयु में सम्बत् १९६७ में स्वर्गवास हुआ।बेद चरित्र के व्यक्ति
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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