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________________ पोसवाल जाति का तिहास पहले मारवाड़ से अंकाई ( नाशिक ) और फिर वहां से चांदोरी गये। यहाँ पर आपने अपनी एक दुकान स्थापित की। आपके हरकचंदजी तथा नारायणदासजी नामक दो पुत्र हुए । मापने बहुत साधारण हालत से अपनी प्रशंसनीय उन्नति की। आप दोनों भाई अपनी मौजूदगी ही में अलग २ होगये थे। सेठ हरकचंदजी के प्रेमराजजी तथा नारायणदासजी के रतनचंदजी व मुलतानचन्दजी नामक दो पुत्र हुए। सेठ प्रेमराजजी के पुत्र खुशालचन्दजी वर्तमान में विद्यमान हैं और खुशालचन्द प्रेमराज के नाम से व्यापार करते हैं। सेठ रतनचन्दजी संवत् १९७० में गुजरे । आपके भीकचन्दजी तथा गुलाबचन्दजी नामक दो पुत्र हुए। इनमें से गुलाबचंदजी सेठ मुलतानचंदजी के नाम पर दत्तक गये सेठ मुलतानचंदजी सम्बत् १९४० में स्वर्गवासी हुए । वर्तमान में सेठ भीकचंदजी. तथा गुलाबचन्दजी विद्यमान हैं । आप लोगों का जन्म क्रमशः सम्बत् १९५६ और १९४८ में हुभा। आप दोनों धार्मिक तथा प्रतिष्ठित व्यक्ति है। . सेठ गुलाबचन्दजी के मिश्रीमलजी, दीपचन्दजी तथा माणकचन्दजी नामक तीन पुत्र हैं। दीपचन्दनी भीकचन्दजी के नाम पर दत्तक गये हैं। सेठ भीकचन्दजी भीकचन्द रतनचन्द' के नाम से तथा गुलाबचन्दजी 'गुलाबचन्द मुलतानचन्द' के नाम से व्यापार करते हैं। सेठ पृथ्वीराज रतनलाल वेद मेहता, आकोला ___ इस परिवार के पूर्वजों का मूल निवासस्थान जोधपुर (मारवाद) का है। वहाँ से यह कुटुम्ब गोविन्दगढ़ ( भजमेर जिला) में भाकर बसा। तभी से यह परिवार वहीं पर निवास करता है। इस परिवार वाले श्री जैन श्वेताम्बर मन्दिर आम्नाय को मानने वाले सज्जन हैं। इस परिवार में सेठ पृथ्वीराजजी हुए। भापका जन्म सम्बत १९२१ में हुमा। सबसे प्रथम बाप ही ने आकोला जाकर सोना चांदी व भादत का काम प्रारंभ किया। इस समब भाप विद्यमान हैं और अकोला की ओसवाल समाज में प्रतिष्ठित माने जाते है। आपके नाम पर रासा से रतनलालजी दत्तक आये हैं। वेद मेहता जीवनमल बहादुरमल का परिवार, छिंदवाड़ा सम्बत् १९२८ में वेद मेहता जीवनमलजी और उनके पुत्र बहादुरमलजी नागोर से कामठी गये आर वहाँ से आप दोनों पिता पुत्र छिंदवाड़ा भाये । यहाँ आकर आप लोगों ने कुछ मास तक सेठ रतनचन्द केशरीचन्द छल्लानी के यहाँ सर्विस की और पीछे कपड़ा सोना चांदी आदि का घरू रोजगार शुरू किया। सेठ जीवनमकजी का सम्बत् १९९१ में स्वर्गवास हुआ। आपके . पुत्र हुए जिनमें बहादुरमलजी तथा १९.
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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