SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 587
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ वेद मेहता ते में चल रही थीं । आपकी फर्म पर चलानी का काम बहुत बड़े परिमाण में होता था। कुछ समय पमात् सब भाई अलग हो गये। सेठ लच्छीरामजी के आसकरनजी नामक एक पुत्र हुए। मेठ भासकरनजी ने भी अपनी फर्म की बहुत उन्नति की । आपने गया जिले में बहुत बड़ी जमींदारी खरीद को तथा वहाँ अपनी एक फर्म स्थापित की । आपका धार्मिकता की ओर भी बहुत ध्यान रहा । आपने अपने पिताजी हो की भांति हजारों लाखों रुपयों की सम्पत्ति उपार्जित की । आपका बीकानेर दरबार अच्छा सम्मान करते थे । भापको राज्य की ओर से छड़ी चपरास का सम्मान प्रदान किया हुआ था। जिस प्रकार आपको सम्मान प्राप्त था; उसी प्रकार आपके पिताजी को भी था। दरबार की ओर से आपके पिता सेठ बच्छीरामजी को उनके भ्राता सहित साहुकारी का पट्टा इनायत हुआ था । साथ ही एक पट्टा और संवत् १९२३ आसाद सुदी ७ को मिला था। जिसमें इनके सम्मान को बढ़ाने वाली बहुतसी बातें थीं। स्थानाभाव से वह यहां उधृत नहीं किया जा सका । सेठ आसकरनजी का स्वर्गवास हो गया । आपके ६ पुत्र हुए, जिनके नाम क्रमशः सेठ मोतीलालजी, भीमराजजी धनराजजी, बुधमलजी, गिरधारीमलजी, और सिंचयालाबजी हैं। इनमें से प्रथम दो का स्वर्गवास हो गया उनके पुत्र अपना स्वतन्त्र काम करते हैं। सेठ धनराजजी का जन्म संवत् १९४३का है। आप बड़े उत्साही, मिलनसार और सजन पति । भापका व्यापार कलकत्ता में मेसर्स लच्छीराम प्रेमराज के नाम से ५६ आर्मेनियन स्ट्रीट में सूट और किंग का होता है। साथ ही आपकी बहुत सी स्थायी सम्पत्ति भी बनी हुई है। आपके मोहनलालजी और बच्छावनी मामक दो पुत्र हैं। चौथे पुत्र धमलजी बंगाल के चगड़ा बाना (कुचबिहार ) नामक स्थान पर रहते हैं और वहीं ग्यापार करते हैं। पांचवे गिरधारीमलजी राजलदेसर ही रहते हैं तथा बैंकिंग का व्यापार करते हैं । छटवें पुत्र सिंचयालालजी अभी नाबालिग है। मापकी फर्म कलकत्ता में सदगसिंह लच्छीराम के नाम से ४ दहीहट्टा में हैं। जहां कमीशन का काम होता है। तवा गवा पाली फर्म पर कपड़ा, ब्याज और जमींवारी का काम होता है । आपके यहाँ मुनीम लोग फर्म का संचालन कर रहे हैं। सेठ प्रासकरन मुन्तानमल वेद, लाडनू कुछ वर्ष पूर्व इस परिवार की फर्म मेसर्स अमरचन्द आसकरन मुस्तानमल के नाम से थी। मगर संवत् १९९१ में यह नाम बदल कर आसकरन मुस्तानमल कर दिया गया । इसका आकिस ४२ अर्मेनियन स्ट्रीट कलकत्ता में है। तार का पता Mulchouth है । यहाँ जूट का व्यापार तथा भादस का १८५
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy