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________________ इसके पश्चात् आपने अपना व्यवसाय अलग कर अपनी फर्म का नाम मेसर्स जैसराज चन्दलाल रखा । इसके पश्चात् माटोर, राजशाही, दिनाजपुर, और कामागढी नामक स्थानों पर भी आपने अपनी शाखाएं खोली। __ कलकत्ता फर्म पर भी संवत् १९६५ में आपने जूट की पक्की गांठों के वेलिंग का काम प्रारंभ किया। इस पर आपका मार्का “जयचन्द एम. अप" हुआ । संवत् १९६७ में आपने जयपुरहाट एवं जमालगंज (बोगड़ा) नामक स्थानों पर भी मेसर्स हीरालाल चांदमल के नाम से जूट एवं धान चावल का व्यवसाय करने के लिये दो शाखाएं खोली। उपरोक्त प्रायः सभी स्थानों पर आपके बहुत मकान एवं गोदाम वगैरह बने हुए हैं। सोनातोला (बोगड़ा) के पास लाट काबुलपुर के पांच गांव की जमींदारी भी आपकी है । यह सब आप ही के द्वारा खरीदी गई । आप बड़े व्यापार कुशल एवं मेघावो व्यक्ति थे । आपने राजलदेसर से २ मील की दूरी पर राजाणा नामक स्थान पर एक धर्मशाला सथा कुण्ड बनवाया है। राजलदेसर एवं सारे आसपास के ग्रामों के पोसवाल समाज में आपका बहुत बड़ा प्रभाव एवं सम्मान था। बीकानेर दरबार भी आपका अच्छा सत्कार करते थे। आपको आपके दोनों चाचा सेठ लच्छीरामजी एवं सेठ मेघराजजी के साथ संवत् १९२३ की भसाड सदीको दरबार की ओर से साहकारीका पट्टा इनायत किया गया था. इसके अतिरिक्त संवत् १९५६ में बीकानेर दरबार ने आपको आपके कार्यों से प्रसन्न होकर छड़ी चपरास का सम्मान बक्षा | आपका स्वर्गवास संवत् १९६९ में हो गया । आपके दाह संस्कार के स्थान पर आपके स्मारक स्वरूप एक ग्राउण्ड घेर कर सुन्दर छतरी भी बनवाई गई । जिस पर एक मार्बल का शिलालेख स्थापित किया गया । वर्तमान में इस फर्म के संचालक आपके सातों पुत्र हैं। जिनके नाम क्रमशः सेठ बोजराजजी सेठ सींचियालालजी, हीरालालजी, चांदमलजी, नगराजजी, इन्द्रराजमलजी तथा चम्पालालजी हैं। आप लोगों का परिवार श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सम्प्रदाय का अनुयायी है। इस फर्म का अंग्रेजी फर्मों के साथ विशेष सम्बन्ध है। इस फर्म में संवत् १९७६ से कपड़े का व्यापार प्रारंभ किया तथा संवत् १९८३ से यह फर्म मेसर्स Kettle weel bullen and Co. Ltd. के पीस गुड्स डि. की सोल बेनियन हुई। इसके पश्चात् संवत् १९४६ से मेसर्स बाबरिया कॉटन मिल्स कं. लि., दी डनवार मिल्स लि., और दी न्यू रिंग मिल्स कं. लि. नामक तीनों कॉटन मिलों की सोल बेनियन हुई । इस फर्म के वर्तमान संचालकों का परिचय इस प्रकार है। बा० बींजराजजी-आपका जन्म संवत् १९३६ में हुआ । आप बड़े योग्य तथा इस फर्म के प्रधान संचालक है। आपका राजलदेसर के नागरिकों में अच्छा सम्मान है। भाप वहां की म्युनिसीपालिटी
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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