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________________ मोसवाल जाति का इतिहास जसराजजी के तीसरे पुत्र का नाम श्री मोतीलालजी भंडारी है। मैट्रिक तक शिक्षा पास कर इन्होंने वैद्यक और होमियोपैथी का अध्ययन किया। इन्होंने पटना के होमियोपैथिक कॉलेज से डिग्री प्राप्त की और इस वक ये इन्दौर में सफलता पूर्वक होमियोपैथी की प्रेक्टिस करते हैं। असराजजी के चौथे पुत्र का नाम प्रेमराजजी भण्डारी है। इन्होंने इसी साल बी० ए० पास किया । ये नवीन विचारों के और समाज सुधारक हैं। इन्होंने पर्दा की हानिमक प्रथा को अपने घर से उठा दिया । इनकी धर्मपत्नी श्रीमती सी• नजरकला सुशिक्षित महिला है। भंडारी सुखसम्पतिरायजी के पूर्व प्रसन्नकुमार, वसंतकुमार, चन्द्रराजजी के प्रभात कुमार, और विजय कुमार तथा भंडारी मोतीलाऊजी के पुत्र नरेन्द्रकुमार हैं। प्रेमराजजी की कन्या का नाम भारदा देवी है। भंडारी सुखसम्पतीरापजी की बड़ी कन्या स्नेहलता कुमारी की वय १४ साल की है। ये विद्याविनोदिनी की प्रथमा परीक्षा पास कर चुकी है। गृह कार्य व सीनेपिरोने की कला में दक्ष है तथा सुधारक विचारों की बालिका है। भण्डारी खेतसीजी का परिवार भण्डारी खतसीजी-आप भंडारी दीपाजी के द्वितीय पुत्र थे। आपने जोधपुर राज्य की प्रशंसनीय सेवाएं की। जब महाराजा जसवन्तसिंहजी का सम्बत् १७३५ में पेशावर मुकाम पर स्वर्गवास हो गया, तब वहां से महाराजा की फौज को वापस लानेवाले व्यक्तियों में भारी भगवानदासजी, भंडारी सेतसीजी और भंडारी कालचन्दजी मादि थे। भापके उदयकरणजी, विजयराजजी, ठाकुरदासजी और लक्ष्मीचन्दजी नामक चार पुत्र हुए। भण्डारी विजयराजजी-जिन मोसवाल मुस्सदियों ने जोधपुर राज्य के इतिहास को गौरवान्वित किया है उनमें भण्डारी विजयरामजी अपना विशेष स्थान रखते हैं। पहले पहल सम्बत् १७६७ में आप मेड़ते के हाकिम बनाये गये। जब सम्बत् १७६८ में शाहजादा फरुखसियर ने ८०००० फौज लेकर दिल्ली पर चदाई की उस समय जोधपुर दरवार की ओर से भण्डारी विजयराजजी तत्कालीन मुगल बादशाह की सहायता के लिये ससैन्ध भेजे गये। उस समय महाराजा अजितसिंहजी ने आपको यह संकेत कर दिया था कि दो दलों में जिस दल की विजय हो उसी भोर तुम मिल जाना। भंगरी विजयराजजी ने महाराजा की इस सूचना का भली प्रकार पालन किया। शाहजादा फर्रुखसियर ने विजयी होकर जब दिल्ली के सस्तकी ओर प्रयाण किया तो भंडारी विजयराजजी उसकी भोर मिल गये।
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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