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________________ मंडारी भण्डारी थानसिंहजी के वंश में इस समय भण्डारी किशोरमलजी, भण्डारी जीवनमलजी, भण्डारी लाभमलजी, भण्डारी मोतीचन्दजी आदि सज्जन हैं। भण्डारी किशोरमलजी कलकते में व्यापार करते हैं। भण्डारी जीवनमलजी कई वर्ष तक रीयां ठिकाने के कामदार रहे और इस वक्त शायद वकालात करते हैं। भण्डारी लाभचंदजी महाराजा फतहसिंहजी के पोस कामदार हैं। भण्डारी मोतीचन्दजी सोजत में पुलिस सर्कल इन्सपेक्टर हैं। इस महकमे में आप अच्छे लोकप्रिय रहे । भण्डारी जीवनमलजी के पुत्र नवरत्नमलजी ने गतसाल बी० ए० पास किया है। ये होनहार युवक मालूम होते हैं । भण्डारी अमरसिंहजी का वंश भण्डारी अमरसिंहजी के जोधसिंहजी और सावंतसिंहजी नामक दो पुत्र हुए। जोधसिंहजी मेड़ता अजमेर आदि कई स्थानों के हाकिम रहे। आप बड़े पहलवान थे । आपने एक नामी पहलवान को पछाड़ा था । आपका मेड़ते में स्वर्गवास हुआ, जहाँ अभी आपके स्मारक चौतरा बना हुआ है। इनके छोटे भ्राता सावन्तसिंहजी भी हाकिम रहे। जोधसिंहजी के पाँच पुत्र हुए, जिनमें कस्यानदास और अचलदासजी का परिवार मौजूद है। मण्डारी हरिदासजी - आप कश्याणदासजी के पौत्र थे । आप नामाक्ति हुए । आप साम्भर और नावां के हाकिम रहे और सम्बत् १९४३ से १९६० तक जोधपुर के खजांची रहे । आपका स्वर्गवास ६८ वर्ष की आयु में सम्वत् १९६० की माघ सुदी २ को हुआ। आपके दो पुत्र भण्डारी किशनदासजी और भण्डारी विशनदासजी अभी विद्यमान हैं। भंडारी हरिदासजी के गुजरने के बाद किशनदासजी ने सम्वत् १९६० से सम्वत् १९७८ तक खजांची (पोतदारी) का काम किया। भंडारी विशनदासजी ने भी खजाने में सर्विस की । आप सुधारक विचारों के सज्जन हैं। कला से आपको प्रेम है । भंडारी किशनदासजी के दो पुत्र हुए जिनमें माणकराजजी सम्वत् १९७५ में स्वर्गवासी हुए। दूसरे पुत्र मदनराजजी घरू कारोबार करते हैं। माणिकराजजी के पुत्र मोहनराजजी ट्रिब्युट में सर्विस करते हैं। भंडारी विशनदासजी के पुत्र इन्द्रसिंहजी पुलिस विभाग में सर्विस करते हैं और अमरसिंहजी पढ़ते हैं। भण्डारी करणीदानजी -- आप अचलदासजी के पुत्र थे आप मेड़ते के हाकिम रहे। सम्वत् १९२६ की अषाद वदी ७ को आपका देहावसान हुआ । आपके महादानजी, सतीदानजी, आईदानजी, जगजोतदानजी आदि आठ पुत्र हुए। इनमें जगजोतदानजी इस समय विद्यमान हैं। दीपावत भंडारियों में आप सबसे बुजुर्ग सज्जन हैं। आपको अपने पूर्वजों के पर्वानों पर जोधपुर दरबार से गतसाल ४०० ) का पुरस्कार मिला है। भंडारी खानदान के कई रुक्के आपके पास हैं। आपके पुत्र भगवतीदानजी कलकते में जवाहरात का काम करते हैं और फतहदानजी के पुत्र अम्बादानजी जवाहरात की दलाली करते हैं । 121
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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