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________________ श्रीसवाल जाति का इतिहास १९७४ में स्वर्गवासी हुए। इस समय आपके पुत्र सुखराजजी विद्यमान हैं सिंघवी सुखराजजी का जन्म संवत् १९२९ में हुआ, आपके पुत्र रूपराजजी हैं। इनके यहाँ रुई, गल्ला व आढ़त का कार्य्य होता है । सिंघवी नेतराजजी के चिमनीरामजी तथा जसराजजी नामक पुत्र थे इनमें जसराज जी, सिंघवी अमृतराजजी के नाम पर दत्तक गये । चिमनीरामजी के पुत्र सोहनराजजी हुए । सिंघवी गजराजजी अन्नराजजी सोजत संघपति सोनपालजी के चौथे पुत्र सिंहाजी थे। उनके बाद क्रमशः चापसोजी, हेमराजजी और गणपतजी हुए। सिंघवी गणपतजी के गाड़मलजी तथा मेसदासजी नामक दो पुत्र थे । सिंघवी मेसदासजी तक यह खानदान सिरोही में रहा । वहाँ से सिंघवी मेसदासजी जब सोजत आये तब अपने साथ सरगरां, बांभी, नाई, सुतार आदि कई जातियों को लाये। इन जातियों के लिये आज भी स्टेट से बेगार माफ़ है। सिंघवी मेसदासजी के लूणाजी, लालाजी तथा पीथाजी नामक तीन पुत्र हुए। इनमें से पीथाजी के प्रपौत्र सिंघवी भीमराजजी और उनके पुत्रों ने जोधपुर राज्य में बहुत महत्वपूर्ण कार्य्यं किये । सिंघवी लूणाजी के पश्चात् क्रमशः खेतसीजी, सामीदासजी, दयालदासजी दुरगदासजी और संतोषचन्दजी हुए। सिंघवी संतोषचन्दजी के मोतीचन्दजी तथा माणकचन्दजी नामक २ पुत्र हुए। सिंघवी मोतीचंदजी बहुत बहादुर तबियत के व्यक्ति थे । छोटी उमर में ही इनकी दिलेरी देख जोधपुर दरबार भीमसिंहजी ने इन्हें एक बड़ी फ़ौज देकर जालोर घेरे में भेजा। साथ ही जागीर और तवा भी बख्शा, जालोर घेरे में इन्होंने बहादुरी के साथ लड़ाई की। इसके अलावा सिंघवी मोतीचंदजी के नाम पर कई हुकूमतें भी रहीं। सिंघवी मोतीचन्दजी ( मोतीरामजी ) के बाद क्रमशः सायबरामजी और कालूरामजी हुए। सिंघवी कालूरामजी व्यापार के निमित्त सोलापुर ( दक्षिण ) गये और वहाँ सन् १९२१ में दुकान खोली । इनके जीवराजजी माधोराजजी और हरकराजजी नामक ३ पुत्र हुए। संवत् १९३० के लगभग जीवराजजी ने गुलबर्गा में (निजाम स्टेट) कपड़े का कारबार शुरू किया । संवत् १९५७ में कालूराम जी का, संवत् १९५८ में जीवराजजी का, संवत् १९६८ में माधोराजजी का तथा संवत् १९७५ में हरखराज जी का अंतकाल हुआ। इस समय कालूरामजी के तीनों पुत्रों की गुलबर्गा में अलग २ दुकानें हैं। वर्तमान में जीवराजजी के पुत्र गजराजजी तथा हरखराजजी के पुत्र अनराजजी तथा सम्पतराज जी विद्यमान हैं। माधौराजनी के पुत्र किशनराजजी का संवत् १९८३ में स्वर्गवास हो गया है। १०१
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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