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________________ बोथरा लाला रूपलालजी जैन, फरीदकोट __इस खामदान के पूर्वज लम्बे समय से फरीदकोट में ही निवास करते हैं। आप लोग श्री जैन स्वेताम्बर समाज के स्थानकवासी आम्नाय को मानने वाले हैं। इस परिवार में लाला मोतीरामजी हुए। लाला मोतीरामजी के लाला सोभागमलजी नामक पुत्र हुए । आप लोग फरीदकोट में ही व्यापार करते रहे। सोभागमलजी के लाला रूपलालजी नामक पुत्र हुए। लाला रूपलालजी का जन्म संवत् १९३९ में हुआ। आपने सन् १९०० में फरीदकोट में अंग्रेजी का इम्तहान दिया और फिर नौकरी करने लगे। आप वर्तमान में फरीदकोट नरेश के रीडर (पशकार) है । इसके अतिरिक आप स्थानीय जैन सभा के प्रेसिडेन्ड, श्री जैनेन्द्र गुरुकुल पंचकूला की मेनेजिंग कमेटी के प्रेसिडेण्ट, स्थानीय जैन कन्या पाठशाला के मैनेजर, एस० एस० जैन सभा पंजाब के मेम्बर तथा अमृतसर टेंपरंस सोसाइटी के व्हाइस प्रेसिडेण्ट हैं। आपका स्वभाव बड़ाही सरल है। हाला रूपलालजीके देवराजजी और हंसराजजी नामक दो पुत्र हैं । लाला देवराजजी इस वर्ष बी.ए. एवं ईसराबजी इस समय मेट्रिक की परीक्षा में बैठे हैं । लाला स्पलालजी बार व्रतधारी श्रावक है, एवं चतुर्थ व्रत का पापको नियम है। . बोथरा परिवार फरीदकोट बोथरा खानदान के व्यक्तियों में बोथरा गुजरातीमलजी संवत् १८४५.४६ में रियासत की ओर से अंग्रेजी सेना को मुद्दकी की पहली लड़ाई के समय हाथियों पर रसद पहुँचाते थे। उस समय फरीदकोट स्टेट ने वृटिश सेना को इमदाद पहुँचाई थी। इस सम्बन्ध में ऑइनाएबाड वंश हिस्सा नं. ३ केपृष्ट ५४० फरीदकोट स्टेट हिस्ट्री में लिखा है कि "इंडेंट के मुताविक तमाम जिसें फिलफोर हाथियों और ऊँटों पर लदवा कर गुजरातीमल साहुकार के मार्फत मौका जरूरत पर पहुंचा दी गई। इसी तरह इस त्यात के पृष्ट १४४ में लिखा है कि “अगरचे खजांची भावड़ा*कौम में से इंसखाव करके खजाना और तोसाखाना के तहत पील बनाये हुए थे। इससे मालूम होता है कि यहाँ के बोथरा जैन समाज ने लम्बे समय तक स्टेट के खजाने का काम किया था। इनमें मुख्य लाला मूलामजी, लाला शिब्बूमलजी, लाला देवीदासजी, लाला गोपीरामजी बोथरा, आदि हैं। इसी प्रकार लाला भीकामलजी गधैयाजी स्टेट खजाने का काम करते रहे। • पंजाब प्रान्त में मोसवाल आदि जैन मतावलम्बियों को "भावड़ा" के नाम से बोलते है। . . .
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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