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________________ ओसवाल जाति का इतिहास को नहीं मिली। इस प्रकार आपका जीवन क्या साहित्यिक, क्या धार्मिक और क्या राजनैतिक सभी दृष्टियों से बड़ा महत्व पूर्ण रहा है। सेठ हीरालालजी पन्नालालजी वच्छावत, कुन्नूर (नीलगिरी) इस परिवार का निवास फलोदी (मारवाड़) है। भाप जैन मंदिर मार्गीय आन्नाय के मानने वाले हैं। इस परिवार के सेठ धीरजमलजी और उनके पुत्र दुलीचन्दजी फलोदी में ही रहते रहे । दुलीचंदजी के पुत्र सेठ खींवराजजी मारवाड़ से व्यापार के निमित्त संवत् १९६५ में एक लोटा डोर लेकर कमाने के लिए बाहर निकल पड़े, और साहस तथा परिश्रम पूर्वक हज़ारों मील का रास्ता तय करके आप मैसूर प्रान्त की ओर आये, और वहाँ व्यापार में अच्छी सम्पत्ति उपार्जित की। वैद्यक का भी आप अच्छा ज्ञान रखते थे। संवत् १८७५ में आप स्वर्गवासी हुए। सेठ खींवराजी बच्छावत के पुत्र मुलतानचन्दजी का जन्म संवत् १८६७ में हुआ। आप रीयाँवाले सेठ चन्दनमल धनरूपमल की इन्दौर तथा उज्जैन दुकानों पर मुनीमात करते थे। शरीर विज्ञान और वैद्यक का आपको ऊँचा ज्ञान था। संवत् १९६५ में आप स्वर्गवासी हुए। आपके चुनीलालजी मोती. लालजी, तेजकरणजी, चौथमलजी, हीरालालजी और सुगनचन्दजी नामक ६ पुत्र हुए। इन बन्धुओं में से मोतीलालजी ने उज्जैन में, चौथमलजी ने खामगाँव में तथा सुगनचंदजी ने अमरावती में दुकानें खोली और तेजकरणजी रीयाँवालों की दुकानों पर मुनीमात करते रहे । सेठ मोतीलालजी बच्छावत के छोगमलजी, माणिकलालजी और दीपचंदजी नामक पुत्र हुए, इनमें छोगमलजी, चुनीलालजी के नाम पर दत्तक गये । इस समय आप बन्धुओं के यहाँ मोतीलाल माणकलाल के नाम से उज्जैन में व्यापार होता है। छोगमलजी के पुत्र फूलचन्दजी लालचन्दजी, राजमलजी हैं, इनमें राजमलजी कोयम्बटूर में कपड़े का व्यापार करते हैं। सेठ चौथमलजी वच्छावत खामगाँव के माहेश्वरी, अग्रवाल और ओसवाल समाज में वज़नदार पुरुष हुए, आपके छोटे भ्राता हीरालालखी के पनालालजी तथा चाँदमलजी नामक २ पुत्र हुए, इनमें पन्नाकालजी, चौथमलजी के नाम पर दत्तक गये। पचालालजी का जन्म संवत् १९४७ में हुआ। सेठ चौथमलजी के गुजर जाने बाद सेठ पनालालजी ने खामगाँव से दुकान उठाकर सेठ कैशोरामजी पोहार कलकत्ते वालों के यहाँ ६ सालों तक श्यूगर विभाग में नौकरी की। पश्चात् सन् १९११ में फलोदी निवासी सेठ मिश्रीमलजी वेद, जेठमलजी झाबक तथा आपने मिलकर मेमर्स लालचन्द शंकरलाल एण्ड कंपनी के नाम से कुन्नूर (उटकमंड) में बेकिंग कार-बार खोला, और इस फर्म ने अपने मालिकों की होशियारी तथा व्यापार चतुराई के बल पर अच्छी उन्नति प्राप्त की, इस समय नीलगिरी प्रति के व्यापारियों में यह नामाक्षित फर्म मानी जाती है। इस फर्म का विजिनेस अंग्रेज़ी ढंग के बेटिग सिस्टम से होता है। कुलर तथा ऊटकमंड के बड़े २ प्लांटर्स, एंजिनियर्स एवं अंग्रेज़ आफीसरों से इस फर्म का लेन-देन रहता है। सेठ पन्नालालजी बच्छावत व्यापार चतुर और हियाववाले व्यक्ति हैं, आपने अपने छोटे भाता चाँदमलजी के पुत्र बालचंदजी को दत्तक लिया है। आपकी वय २७ साल की है। श्रीबालचन्दजो शिक्षित तथा योग्य व्यक्ति हैं, आप कुबर म्यूनिसिपेलिटी के मेम्बर हैं। आपके पुत्र निहालचंदजी होनहार बालक हैं।
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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